Bihar News: बिहार सरकार ने थारू समाज और अन्य जनजातियों के विकास के लिए बड़ी पहल की है. एससी-एसटी कल्याण मंत्री लखेंद्र कुमार रौशन ने कहा कि सरकार ने थारू समाज के उत्थान के लिए 30 करोड़ रुपये का अलग बजट रखा है. इस पैसे से शिक्षा, रोजगार, सड़क–बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास से जुड़े काम किए जाएंगे.
योजनाओं के लाभ के लिए सरकार ने बनाई लिस्ट
मंत्री ने बताया कि बिहार में करीब 22 लाख लोग थारू और अन्य कमजोर जनजातियों से आते हैं. इनके लिए सरकार ने एक विशेष सूची बनाई है, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ इन्हें सीधे और प्राथमिकता के आधार पर मिल सके. पश्चिमी चंपारण में थरुहट विकास अधिकरण समेत कई जनहित योजनाओं पर काम चल रहा है. ये योजनाएं जनजातीय समुदायों की आजीविका और जीवन स्तर सुधारने में मदद करेंगी. जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार केंद्र से भी सहायता लेगी.
तारामंडल में हुआ सेमीनार
इसी क्रम में बुधवार को पटना के तारामंडल परिसर में राष्ट्रीय जनजातीय सेमिनार आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम बिहार अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से आयोजित किया गया था. सेमिनार का उद्देश्य जनजातीय समुदायों को सरकारी कार्यक्रमों से जोड़ना और उनकी भागीदारी बढ़ाना था.
सरकारी सेवाओं में मिले भागीदारी: प्रियंका रानी
कार्यक्रम की शुरुआत विभाग की निदेशक प्रियंका रानी ने की. उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज के लोगों को प्रशासन, राजनीति और विभिन्न सरकारी सेवाओं में अधिक भागीदारी मिलनी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान का नया भवन मीठापुर में बनाया जा रहा है और निर्माण कार्य जनवरी से शुरू होगा.
समाज में बराबरी का हिसा जरूरी: डॉ शैलेन्द्र
प्रसिद्ध समाज विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि जनजातियों की समस्याओं को समझकर ही उनके लिए काम करना चाहिए. समाज में उन्हें बराबरी का हिस्सा मिलना जरूरी है. कार्यक्रम में मौजूद विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने अपने विचार और सुझाव साझा किए. कार्यक्रम के अंत में मिशन निदेशक गौतम पासवान ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस मौके पर विशेष कार्य पदाधिकारी दीवान जफर हुसैन, उप सचिव ज्योति झा, प्रोफेसर बीवी शर्मा समेत कई अधिकारी और शोधकर्ता उपस्थित थे.
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सरकार की उम्मीद और उद्देश्य
सरकार उम्मीद जता रही है कि इन योजनाओं से थारू और अन्य जनजातियों के लोगों को रोजगार, शिक्षा और जीवन सुविधाओं में सुधार मिलेगा. राज्य सरकार का उद्देश्य है कि समाज के इन कमजोर वर्गों को मुख्यधारा से जोड़कर उनका समग्र विकास किया जाए.

