नयी दिल्ली : पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते का अनुमोदन करने के कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यदि विश्व प्रौद्योगिकी और संसाधन मुहैया कराये तो देश कोयले की जगह स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपना सकता है. नरेंद्र मोदी ने यद्यपि कहा कि देश को जब तक जरूरी संसाधन और प्रौद्योगिकी नहीं मिलते तब तक वह उसकी बढ़ती ऊर्जा जरुरत को पूरा करने के लिए एक ‘‘विकल्प’ के बारे में सोचेंगे.
पेरिस समझौते के तहत भारत ने यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जतायी है कि 2030 तक उसकी कुल जरुरत की बिजली का कम से कम 40 प्रतिशत का उत्पादन गैर जीवाश्म स्रोतों से होगा. देश विश्व का तीसरे सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है. अमेरिकी टेलीविजन शो के मेजबान डेविड लेटरमैंन द्वारा एक श्रृंखलाबद्ध सीरीज ‘ईयर्स आफ लिविंग डेंजर्सली’ में पूछे गये एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा, ‘‘उन्हें :घरों को: बिजली चाहिए जो उन्हें मुहैया करायी जानी चाहिए. उनकी :लोगाें की: आकांक्षाएं पूरी की जानी चाहिए और यह हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन प्रकृति की कीमत पर नहीं.’
नरेंद्रमोदी ने कहा, ‘‘यदि विश्व मेरी तकनीक से मदद करे, हमें संसाधन मुहैया कराये तो मैं कोयले के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने वाला पहला व्यक्ति होउंगा. मैं जब तक वह नहीं कर पाता मैं कुछ और के बारे में सोचूंगा.’ इस कार्यक्रम का प्रसारण आज किया गया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण एक ‘‘सामूहिक’ जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा, ‘‘आज के विश्व में कोई भी देश पृथक नहीं रह सकता. पूरा विश्व एक-दूसरे पर निर्भर है.’ मोदी ने पर्यावरण के परिप्रेक्ष्य में महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि वर्तमान पीढ़ियों को उसके ‘‘ट्रस्टी’ के तौर पर व्यवहार करना चाहिए.