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पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में पत्रकारों पर हमला खौफनाक अपवाद : जेटली

नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पटियाला हाउस अदालत में पत्रकारों पर हुए हमले को एक ‘खौफनाक अपवाद’ करार दिया है. साथ ही, उन्होंने अदालत परिसरों में भीड़ की मौजूदगी की निंदा करते हुए कहा कि यह एक ‘आक्रामक माहौल’ बनाता है. उन्होंने कहा कि अदालतों को अवश्य ही इससे ‘अलग’ रहना […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पटियाला हाउस अदालत में पत्रकारों पर हुए हमले को एक ‘खौफनाक अपवाद’ करार दिया है. साथ ही, उन्होंने अदालत परिसरों में भीड़ की मौजूदगी की निंदा करते हुए कहा कि यह एक ‘आक्रामक माहौल’ बनाता है.

उन्होंने कहा कि अदालतों को अवश्य ही इससे ‘अलग’ रहना चाहिए और क्षणिक मुद्दों या प्रवृत्तियों के बहाव में नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे विपरीत स्थिति पैदा होगी जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई को जोखिम में डालेगा.
जेटली ने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह एक खौफनाक अपवाद है. आमतौर पर सार्वजनिक स्थलों पर लोग मीडिया को अपने स्वभाविक सहयोगी के रुप में पाते हैं. समकालीन विवाद में मीडिया को घसीटने का समूचा विचार और फिर इस पर कहीं भी, खासतौर पर अदालतों में हमले करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है. जेटली के पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभार भी है. उन्होंने यहां ‘इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट इंडिया अवार्ड फॉर एक्सेलेंस इन जर्नलिज्म’ में यह बात कही. उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि पटियाला हाउस अदालत जैसी ‘अपवादजनक’ घटनाएं यह याद दिलाने का काम करेंगी कि मीडिया को एक असंबद्ध तीसरे पक्ष के रुप में रखा जाए.
जेटली ने कहा कि उन्हें लगता है कि अदालत में भीडभाड का विचार खदु ब खुद में स्वीकार्य नहीं है. अपराध जितना गंभीर हैं परिसरों में सुरक्षा उतनी ही मजबूत होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खतरा है बल्कि यह एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई के लिए भी खतरा बन गया है क्योंकि एक आक्रामक माहौल न्यायिक संस्थानों में बनाया जाता है. अदालतें अवश्य ही इससे अलग रहनी चाहिए.
जेटली ने पारंपरिक मीडिया से उठ खडे होने की अपील करते हुए कहा कि मीडिया के विविध रुपों के प्रसार का जोखिम यह है कि यह कुछ विवादास्पद करके या कह कर ध्यान आकर्षित करने की आकांक्षा रखता है. उन्होंने दलील दी कि एक मजबूत लोकतंत्र में मीडिया का फैलाव इतना बड़ा है कि तकरीबन हर विचार मीडिया में कहीं ना कहीं अपनी जगह पा लेता है.
उन्होंने कहा कि लेकिन इसका एक खतरा यह है कि इसका संस्थानों पर क्या प्रभाव होता है. उन्होंने अपनी बात के समर्थन में जीतोड मेहनत करने वाले सांसदों एवं विधायकों का जिक्र किया जिन्हें अपने काम को लेकर मीडिया में जगह नहीं मिलती जबकि कोई यदि कुछ अलग हटकर कहता है तो वह सुर्खियां बटोरता है.
इस मौके पर मलयाला मनोरमा के एम शाजील कुमार को संकटापन्न आदिवासी समुदाय के लिए असाधारण काम करने को लेकर इस पुरस्कार से नवाजा गया. उन्होंने कहा कि अभियान चलाने वाली पत्रकारिता में एक अलग तीसरा पक्ष बने रहना बहुत मुश्किल है क्योंकि अब टीआरपी अभियान पत्रकारिता पर निर्भर हो गई है ना कि वस्तुनिष्ठ रिपोर्टिंग पर…कौन किस चैनल पर दिखता है वह अभियान की प्रकृति पर निर्भर करता है. जेटली ने कहा कि समाचार की पारंपरिक परिभाषा के तहत अब सच्चाई नहीं आती और इस तरह खबर वह हो गई है जो कैमरा द्वारा बढ़ चढ़ कर कवर की जाती है.

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