36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

जन्मदिन विशेष : जब सोनिया के पिता ने राजीव को लौटाया था

इंटरनेट डेस्क आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का जन्मदिन है. जन्मदिन के मौके पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दी हैं. आज वे 69 साल की हो गयीं. भारतीय राजनीति में साेनिया गांधी की एक विशिष्ट जगह है. उन पर उनकी सास व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का काफी प्रभाव है. अपने जन्मदिन के […]

इंटरनेट डेस्क

आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का जन्मदिन है. जन्मदिन के मौके पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं दी हैं. आज वे 69 साल की हो गयीं. भारतीय राजनीति में साेनिया गांधी की एक विशिष्ट जगह है. उन पर उनकी सास व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का काफी प्रभाव है. अपने जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले नेशनल हेराल्ड केस को लेकर मीडिया का केंद्र बनीं सोनिया गांधी ने अपनी सास को याद किया था और कहा था कि वे इंदिरा गांधी की बहू हैं और उन्हें किसी से डर नहीं लगता है.


एक सामान्य सी धारणा है कि आदमी संकट के क्षण में उस शख्स को याद करता है, जिसका उसके जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव रहा हो, जिसके व्यक्तित्व की रोशनी उसे राह दिखाती हो. शायद इसलिए उन्होंने कहा था कि वे इंदिरा गांधी की बहू हैं और किसी से डरती नहीं हैं. बल्कि उन्होंने मीडिया से उलटे सवाल किया कि आप बतायें, मुझे क्यों डरना चाहिए?


सोनिया गांधी के इस आत्मविश्वास और इंदिरा गांधी की प्रेरणा को उनके रिश्तों के आइने में देखना आज फिर प्रासंगिक हो गया है. ध्यान रहे कि कि सोनिया गांधी के जन्मदिन की तारीख भी भारत व इंदिरा गांधी के साथ उनके रिश्तों का एक अहम पड़ाव रहा है, जब वे इसकी शुरुआत के लिए खुद के 21 साल के होने की प्रतीक्षा कर रही थीं.

Undefined
जन्मदिन विशेष : जब सोनिया के पिता ने राजीव को लौटाया था 4


सोनिया का भारत आगमन


सोनिया गांधी और राजीव गांधी इंग्लैंड में कैंब्रिज के अपने दिनों में मिले थे. इनकीदोस्ती धीरे-धीरे गहरे रिश्तों में तब्दील हो गयीऔर उन्होंने विवाह बंधन में बंधने का निर्णय ले लिया था. उन्हीं दिनों जब श्रीमती इंदिरा गांधी पंडित नेहरू पर लगायी गयी एक प्रदर्शनी में शामिल होने इंग्लैंड गयीं तो राजीव गांधी ने पहली बार उन्हें सोनिया गांधी से मिलवाया.सोनिया गांधी पर किताब लिखने वाले राशिद किदवई ने बीबीसी की एक स्टोरी में कहाथा कि शुरू में सोनिया गांधीको यह पता नहीं था किराजीवगांधी पंडित नेहरू के नाती हैं. वे दोनों कैंब्रिजकेएकग्रीकरेस्त्रां वरसिटी में मिले थे. किदवई ने यह भी कहा है कि सोनिया जब पहली बार इंदिरा से मिलीं तो उन्होंने फ्रेंच में बात की थी, क्योंकि इंदिरा भी फ्रेंच जानती थीं, जबकि उस समय सोनिया का हाथ अंगरेजी में तंग था.

Undefined
जन्मदिन विशेष : जब सोनिया के पिता ने राजीव को लौटाया था 5

इंदिरा तब तक समझ चुकी थीं कि इन दोनों के रिश्ते दोस्ती से आगे के हैं. इंदिरा गांधी की सहयोगी व राजीव गांधी की बचपन की शिक्षिका उषा भगत ने पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब इंदिरा जी : थ्रू माई आइस में लिखा है कि इंदिराने महसूस किया किसोनिया को इस संबंध मेंअंतिमनिर्णय लेने केलिए कुछ महीने भारत में चीजों को जानने समझने के लिए रहना चाहिए. पर, सोनिया के पिता राजीव से उनके विवाह को लेकर बहुत उत्सुक नहीं थे. राशिद किदवई के लिखे अनुसार, उन्होंने तो एक बार राजीव को लौटा भी दिया था. दरअसल, उन्हें इस बात की चिंता थी कि एक अलग संस्कृति और एक अलगभूभाग के व्यक्ति के साथ उनके रिश्ते कैसे होंगे? पर, सोनिया मानसिक रूप से तैयार थीं. उषा भगत लिखती हैं कि राजीव गांधी 1967मेंस्वदेश वापस आ गये. इस समय सोनिया 21 साल के होने का इंतजार कर रही थीं. 9 दिसंबर 1967 में वे जैसे ही 21 साल की हुईं, 1968 के जनवरी के आरंभ में ही वे भारत आ गयीं. आरंभ में उनके बच्चन परिवार के दिल्ली के विलिंग्डन क्रिसेंट स्थित आवास पर रखने की व्यवस्था की गयी. उनकी संरक्षिका व भारतीय संस्कृति की प्रशिक्षिका बनीं तेजी बच्चन. यह वाकया तो यूं ही मशहूर है. तेजी बच्चन उस समय के मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और आज के बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की मां थीं.वहींसेउनके विवाह के रस्मसंपन्न हुए औरब्याह कर भारत के प्रधानमंत्री की बहूबनीं औरतबके प्रधानमंत्री आवास एक सफदरजंग रोड पहुंची.


उषा भगत ने अपनी किताब इंदिरा जी : थ्रू माई आइस में लिखा है कि सोनिया के बच्चन आवास पर एक, दो सप्ताह तक रहने के बाद इंदिरा गांधी ने महसूस किया कि दोनों अपने रिश्तों को लेकर गंभीर हैं और उन्होंने तमाम गॉसिप पर रोक लगाने के लिए तय किया कि दोनों का विवाह कर दिया जाये. 1968 के जनवरी के अंत में दोनों की सगाई हुई और 25 फरवरी विवाह की तारीख तय की गयी. इस विवाह में सोनिया गांधी के पिता तो नहीं आये, लेकिन उनकी मां, बहन व एक अंकल एक या दो दिन पहले आये थे.


चुनौती भरे दिन में भी बहू का ख्याल


ध्यान रहे कि ये वे दिन थे, जब 1966 में प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा को कुछ ही वक्त हुए थे. उन्हें अपने पद और पार्टी पर जमने में अंदरूनी विरोध का सामना करना पड़ रहा था. कांग्रेस दो गुटों में बंट गयी थी. बावजूद इसके इंदिरा ने अपनी राजनीतिक चुनौतियां से इतर सोनिया गांधी का पूरा ख्याल रखा. कहते हैं कि सोनिया के विवाह के वक्त कुछ दिनों के लिए उन्हें वक्त देने के लिए उनकी सासू मां ने अपनी सरकारी व्यस्तता सीमित कर ली थी. पर, वह कुछ दिनों बाद कार्यालय में पूरा वक्त देना शुरू कर दीं. उषा भगत ने लिखा है कि पूरी तरह से अपने काम पर लौटने से पहले इंदिरा ने सोनिया को एक लंबा पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने सोनिया को अपनी सोच, परंपरा आदि केबारेमें बताया था. वे लिखती हैं कि इस पत्र से सोनिया परेशान हो गयीं थीं और लगभग रुआंसी हो गयीं और उनके कमरे में आकर कहा कि वे यह नहीं समझ पा रही हैं कि श्रीमती गांधी उन्हें स्वयं बता सकती थीं, पत्र क्यों लिखा. तब हमने उन्हें समझाया कि श्रीमती गांधी का यह संवाद का तरीका है. वे सीधे बोलने में प्राय: असुविधा महसूस करती हैं, इसलिए पत्र लिखती हैं. वे अक्सर अपने पिता व पति के लिए भी पत्र छोड़ती थीं.

Undefined
जन्मदिन विशेष : जब सोनिया के पिता ने राजीव को लौटाया था 6


जल्द ही सोनियाबैठालीं तालमेल


सोनिया जल्द ही भारतीय परंपराओं व माहौल से तालमेल बैठा लीं. वे तेजी से चीजें सीखने वाली बहूं बनीं और इंदिरा गांधी के दिल में अपनी गहरी जगह बना लीं. वे यह भी लिखती हैं कि जब राहुल गांधी का जन्म हुआ था, तब इंदिरा गांधी पटना के दौरे पर थीं और उन्होंने ही फोन कर उन्हें यह खुशखबरी दी थी. राहुल और प्रियंका दोनों भाई बहन डेढ़ साल के बड़े छोटे हैं. राहुल और प्रियंका के जन्म ने इंदिरा गांधी की जिंदगी को खुशियों से भर दिया था.


(नोट : यह स्टोरी संदर्भों पर आधारित है, जिसका प्रवाह के साथ उल्लेख किया गया है. पेंगुइन से प्रकाशित उषा भगत की पुस्तक इंदिरा जी : थ्रू माई आइस के रेडिफ डॉट कॉम पर प्रकाशित अंश से साभार संदर्भ दिये गये हैं.)


Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें