शिवमोगा (कर्नाटक) : पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कारों से सम्मानित जाने माने कन्नड कवि के. वी. पुट्टप्पा के शिवमोगा में कुप्पाल्ली स्थित स्मारक में चोरों ने सेंध लगाकर उनके पद्म पुरस्कार चुरा लिए. पुट्टप्पा पहले ऐसे लेखक थे जिन्हें 1967 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था.
पुलिस ने बताया कि चोरों ने सीसीटीवी कैमरे के तारों को काटने के बाद लूटपाट की और पुट्टप्पा के पैतृक घर में रखे पद्म पुरस्कारों के साथ फरार हो गए. कवि के पैतृक घर को ही स्मारक में तब्दील कर दिया गया है. पुलिस ने बताया कि उन्हें कैमरे के फुटेज से कुछ सुराग मिले हैं और जल्द ही दोषी उसके काबू में होंगे.
संग्रहालय के अधिकारी ने बताया कि अपनी कृति ‘कुवेम्पू’ के लिए विख्यात पुट्टप्पा को 1958 में पद्म भूषण और 1988 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. संग्रहालय के प्रथम तल पर कांच के केस में दोनों पदकों को रखा गया था जहां से वे नदारद हैं.
शिवमोगा के पुलिस अधीक्षक रवि चन्नावर ने बताया, ‘सीसीटीवी को नष्ट किए जाने से पहले के हमें कुछ फुटेज मिले हैं और जल्द ही दोषियों को पकड लिया जाएगा.’ पुलिस के मुताबिक, माना जाता है कि चोरी सोमवार को शाम साढे सात से साढे आठ बजे के बीच पहरेदार के भोजन के लिए जाने के दौरान हुई.
संग्रहालय के अधिकारियों ने बताया कि कन्नड साहित्य में उनके सराहनीय योगदान को दर्शाने वाली सभी रचनाएं सुरक्षित हैं. उपन्यासकार, कवि, नाटककार, समीक्षक और विचारक रहे पुट्टप्पा कर्नाटक में साहित्य से जुडे एक प्रतिष्ठित हस्ताक्षर थे.