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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बोफोर्स घोटाले को बताया “मीडिया ट्रायल”

भारत के बहुचर्चित स्कैंडल में से एक बोफोर्स घोटाले को मीडिया ट्रायल बताकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर इस स्कैंडल को जिंदा कर दिया है.एक स्वीडिश अखबार को दिये इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि बोफोर्स तोप सौदे को स्कैंडल करार देना सही नहीं होगा क्योंकि देश के किसी कोर्ट ने अभी तक […]

भारत के बहुचर्चित स्कैंडल में से एक बोफोर्स घोटाले को मीडिया ट्रायल बताकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार फिर इस स्कैंडल को जिंदा कर दिया है.एक स्वीडिश अखबार को दिये इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि बोफोर्स तोप सौदे को स्कैंडल करार देना सही नहीं होगा क्योंकि देश के किसी कोर्ट ने अभी तक इस सौदे को स्कैंडल नहीं बताया है.

इस सौदे के बाद काफी वर्षोंतक मैंदेश का रक्षा मंत्री रहा, सेना ने हमेशा इस तो सौदे की प्रशंसा की, हां मीडिया ने जरूर इसे स्कैंडल की तरह पेश किया, इसलिए यह कहा जा सकता है कि यह मीडिया ट्रॉयल था. लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि क्या बोफोर्स घोटाला मीडिया स्कैंडल था, तो उन्होंने कहा मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं, यह आप कह रहे हैं. हां इसे मीडिया में प्रचार जरूर मिला .

क्या था बोफोर्स घोटाला
वर्ष 1986 में राजीव गांधी के शासन काल में स्वीडन की कंपनी से 285 मिलियन का सौदा किया था. जिसमें तोप और बंदूकें शामिल थीं. बाद में स्वीडिन की ओर से यह आरोप लगाया गया कि इस सौदे के लिए भारतीय नेताओं और सेना अधिकारियों को रिश्वत दी गयी थी.

इस घोेटाले की वजह से तात्कालीन रक्षा मंत्री वीपी सिंह सिंह ने राजीव गांधी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था और राहुल गांधी की सरकार भी चुनाव हार गयी थी. मिस्टर क्लीन माने जाने वाले राजीव गांधी के नाम पर इस घोटाले ने बट्टा लगा दिया था. इस घोटाले के मुख्य आरोपी क्वात्रोरोची को लेकर भी राजीव गांधी पर कई आरोप लगे. वह इटली का नागरिक था और यह बताया जाता है कि उसकी गांधी परिवार से निकटता थी.

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