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भारत में हर दिन कैंसर से 1,300 लोगों की मौत

नयी दिल्ली: भारत में कैंसर की वजह से हर दिन 1,300 से अधिक लोग अपनी जान गंवाते हैं तथा टीबी के बाद संक्रामक और जीवन शैली से जुडी बीमारियों कर वजह से यह देश में मौत के प्रमुख कारणों में से एक बन गया है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्टरी कार्यक्रम […]

नयी दिल्ली: भारत में कैंसर की वजह से हर दिन 1,300 से अधिक लोग अपनी जान गंवाते हैं तथा टीबी के बाद संक्रामक और जीवन शैली से जुडी बीमारियों कर वजह से यह देश में मौत के प्रमुख कारणों में से एक बन गया है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्टरी कार्यक्रम के आंकडों के अनुसार, वर्ष 2012 से 2014 के बीच कैंसर के कारण अनुमानित मृत्यु दर में लगभग छह फीसदी की वृद्धि हुयी है.स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 में देश में कैंसर की वजह से करीब पांच लाख लोगों की मृत्यु हुई है.
वर्ष 2014 में कैंसर के 28,20,179 मामलों में से कुल 4,91,598 लोगों की मृत्यु हो गयी जबकि वर्ष 2013 में 29,34,314 मामलों में से 4,78,180 मौतें हुईं. वर्ष 2012 में इस बीमारी के कारण 30,16,628 मामलों में से करीब 4,65,169 लोगों को अपनी जान गवांनी पडी. अधिकारी ने कहा, ‘बुजुर्ग आबादी की बडी संख्या, स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक जीवन शैली, तंबाकू और तंबाकू उत्पादों का उपयोग, अस्वास्थ्यकर भोजन और नैदानिक सुविधाओं की कमी आदि कुछ कारकों को कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.’’
सरकार ने वर्ष 2013-14 में देश में कैंसर के लिए विशेष परामर्श देखभाल को बढावा देने के लिए एक योजना को मंजूरी दी थी और जनवरी 2014 में सुविधाओं में वृद्धि के लिए दिशा निर्देश राज्यों को जारी किया गया था.पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरक्युलोसिस कंट्रोल प्रोग्राम)के रिकॉर्ड के अनुसार, देश में आधिक संख्या में मौतों का दूसरा कारण क्षय रोग यानी ट्यूबरक्युलोसिस है. इसकी वजह से वर्ष 2011 में 63,265, वर्ष 2012 में 61,887 और वर्ष 2013 में 57,095 लोगों की जान चली गई.
कार्यक्रम के तहत सरकार रोगियों को टीबी निरोधक दवाओं समेत रोग निदान और उपचार की सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराती है.अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने सामान्य क्षेत्रों में प्रति एक लाख आबादी को और आदिवासी, पहाडी और दुर्गम क्षेत्रों में प्रति 50,000 की आबादी को स्तरीय रोग निदान की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए विशेष माइक्रोस्कोपी केंद्र की स्थापना की है.’’ अधिकारी ने आगे कहा कि देश में 13,000 माइक्रोस्कोपी केंद्र और छह लाख से अधिक उपचार केंद्र हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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