रायपुर: छत्तीसगढ सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर विवाद छेड दिया है जिसमें उसके कर्मचारियों को आरएसएस से जुडने और शाखाओं में शामिल होने की अनुमति दी गयी है. कांग्रेस ने आज इसकी तीखी आलोचना करते हुए इसे तुरंत वापस लिये जाने की मांग की.
विशेष सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, डीडी सिंह ने बताया कि भाजपा शासित राज्य ने अखंड मध्यप्रदेश के दौरान लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया जिसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस गतिविधियों में भाग लेने की मनाही थी. इस संबंध में 23 फरवरी को आदेश जारी किया गया. इसमें कहा गया है, ‘‘जहां तक छत्तीसगढ सिविल सेवा (आचार) नियम 1965 के नियम पांच (एक) की बात है, इसकी पाबंदी आरएसएस पर लागू नहीं होती.’’
सरकार के कदम की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह एक मनमाना और अवैध आदेश है. आरएसएस साफ तौर पर एक राजनीतिक संगठन है और हिंदू राष्ट्र की स्थापना में भी दृढता से यकीन करता है जो भारत के संविधान के खिलाफ है.’’ कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने दिल्ली में कहा, ‘‘संविधान में आस्था जताने वाला एक लोक सेवक कैसे एक ऐसे संगठन का सदस्य हो सकता है जो संविधान के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है.’’
एक और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘यह लोकसेवकों के राजनीतिकरण का मनमाना प्रयास है और नौकरशाही की स्वतंत्रता के संवैधानिक प्रावधानों पर हमला है. मुख्यमंत्री रमण सिंह की खोये हुए राजनीतिक आधार को पाने की चाहत का प्रशासनिक ढांचे और नागरिक सेवाओं की आपूर्ति पर एक भयावह परिणाम होगा. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ऐसे बेतुके फैसले की कडी निंदा करती है और सरकारी आदेश को फौरन वापस लेने की मांग करती है.’’
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा, ‘‘यह एक असंवैधानिक कदम है. इससे उनपर असर पडेगा. वे शाखाओं में जाएंगे और ज्यादा समय तक निष्पक्ष नहीं रह पाएंगे.’’ रायपुर में, विधानसभा में विपक्ष के नेता टी एस सिंहदेव ने कहा, ‘‘यह आदेश सरकार और एक राजनीतिक पार्टी के बीच के अंतर को मिटा देता है. आरएसएस एक सामाजिक एवं गैर राजनीतिक संगठन होने का दावा करता है लेकिन हर कोई इस तथ्य से वाकिफ है कि वे पिछले दरवाजे से भाजपा को चला रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, ऐसे सरकारी कर्मचारियों का सहयोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाएगा.’’ छत्तीसगढ सिविल सेवा (आचार) नियम, 1965 सरकारी कर्मचारियों के राजनीति में हिस्सा लेने पर पाबंदी लगाता है.
इसमें कहा गया है, ‘‘कोई भी सरकारी सेवक किसी भी राजनीतिक दल या किसी भी संगठन का सदस्य नहीं हो सकता या उससे जुड नहीं सकता, जो कि राजनीति में हिस्सा लेता है या वे किसी भी तरीके से राजनीतिक मुहिम या गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेंगे या सहयोग नहीं करेंगे.’’ विशेष सचिव ने बताया कि बगल के राज्य मध्यप्रदेश में भी कुछ साल पहले यह प्रतिबंध हटा लिया गया था लेकिन छत्तीसगढ में यह लागू था लेकिन इसे अब हटा दिया गया है. मध्यप्रदेश में भी भाजपा का शासन है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि राजनीतिक गतिविधियों में शिरकत करने पर अब भी प्रतिबंध है. अधिसूचना पर अतिरिक्त सचिव (सामान्य प्रशासन विभाग) के आर मिश्र का हस्ताक्षर है और राज्य में अहम सरकारी महकमे में भेजा गया है.कांग्रेस की आलोचना को खारिज करते हुए आरएसएस ने कहा कि वह एक राजनीतिक संगठन नहीं है. आरएसएस छत्तीसगढ के सरसंघचालक दीपक विस्पुटे ने कहा, ‘‘सरकार ने अच्छी चीज की है. यह नियम ब्रिटिश काल का था और तब से चल रहा था. आरएसएस एक राजनीतिक संगठन नहीं है. हम एक सामाजिक संगठन हैं.’’