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दक्षेस नेताओं से पीएम मोदी ने की द्विपक्षीय वार्ता, शरीफ से नहीं की बात

काठमांडो : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को छोडकर 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों से मुलाकात की. विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, यह पहले ही तय था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ कोई व्यवस्थित वार्ता नहीं होगी […]

काठमांडो : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को छोडकर 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों से मुलाकात की. विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, यह पहले ही तय था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ कोई व्यवस्थित वार्ता नहीं होगी क्योंकि कोई अनुरोध नहीं किया गया था.

हमने पहले कहा था कि हम उपयोगी द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयार हैं. जब परिस्थितियां होगी, हमारे बीच वह बातचीत होगी. और कुछ नहीं. हम तैयार है, जब वह तैयार हों. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रात्रि भोज अथवा कल रिटरीट में दुआ सलाम करेंगे,

उन्होंने सिर्फ इतना कहा, जब कोई वरिष्ठ भारतीय नेता और वरिष्ठ पाकिस्तानी नेता आमने सामने आते हैं तो वह दुआ सलाम करते हैं. यह सामान्य है. और इसे बातचीत नहीं माना जा सकता. उनसे पूछा गया कि क्या भारत ने पाकिस्तान पर मुंबई के हमलावरों पर उस देश में चल रहे मुकदमे की प्रक्रिया में तेजी लाने का दबाव बनाने का मौका गंवा दिया,

उन्होंने कहा, अगर बैठकों से मुकदमों की रफ्तार बढनी होती, तो बढ चुकी होती. बहुत बैठकें हुई हैं. भारत के बार बार यह कहने के बावजूद कि हम मुंबई मामले की कानूनी प्रक्रिया में तेजी चाहते हैं, हमें उल्लेखनीय प्रगति देखने को नहीं मिली. इसलिए इस नतीजे पर मत पहुंचिए कि एक बैठक से सारा माहौल बदल जाता.

उन्होंने कहा, हमारा तजुर्बा यह नहीं रहा. अंतत: भारत और पाकिस्तान पडोसी हैं और हम पाकिस्तान के साथ सहयोग और शांतिपूर्ण रिश्ते चाहते हैं और हम उनसे बातचीत करने को तैयार हैं, जब वह सार्थक बातचीत के लिए तैयार हों. प्रधानमंत्री मोदी की काठमांडो में दक्षेस शिखर सम्मेलन से इतर सदस्य देशों के नेताओं के साथ पांच द्विपक्षीय मुलाकातों का ब्यौरा देते हुए अकबरुद्दीन ने बताया कि मुख्य तौर पर वक्तव्यों और दक्षेस शिखर बैठक के घटनाक्रम पर ही चर्चा हुई.

मोदी ने भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के साथ मुलाकात की. गनी के साथ मुलाकात में अफगानिस्तान के नेता ने मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर अपने विचार रखे और मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत युद्ध से जर्जर उस देश के साथ मजबूत रिश्तों के प्रति वचनबद्ध है.

प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि भारत अपनी क्षमता के अनुरुप अफगानिस्तान की हर संभव मदद करने को तैयार है. कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में तकनीकी हस्तांतरण में संभावित आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा हुई. राष्ट्रपति गनी ने बार बार कहा कि जहां तक उनका सवाल है वह भारत को अफगानिस्तान की आर्थिक खुशहाली के केंद्र में देखते हैं. प्रवक्ता ने बताया, और उन्होंने कहा कि वह अफगानिस्तान में भारतीय निवेश में दिलचस्पी रखते हैं और उन्होंने इस निवेश के लिए कुछ क्षेत्रों के नाम भी गिनाए.

राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह नयी दिल्ली आएंगे तो वह कुछ प्रस्ताव लेकर आएंगे. और वह अगले वर्ष के शुरु में भारत आ सकते हैं. प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा का मामला उठाया और राष्ट्रपति ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत के सुरक्षा हितों का ख्याल रखा जाएगा. प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति को भारत की यात्रा पर आने का न्यौता भी दिया.

अकबरुद्दीन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अगले महीने कोलंबो की यात्रा करेंगे. डोभाल अगले महीने मालदीव भी जाएंगे और इन यात्राओं के दौरान सामुद्रिक सुरक्षा एजेंडा का हिस्सा होगी. हसीना के साथ मोदी की बैठक के बारे में प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने दोनो देशों पर प्रभाव डालने वाले आतंकवाद और सुरक्षा से जुडे मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया.

यह पूछे जाने पर कि क्या दोनो नेताओं ने बर्द्धमान धमाके के बारे में चर्चा की, प्रवक्ता ने कहा, मैं इस बात में नहीं जाना चाहता कि दोनो प्रधानमंत्रियों ने किन संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की. लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि उन्होंने भारत और बांग्लादेश पर प्रभाव डालने वाले सुरक्षा और आतंकवाद से जुडे मुद्दों पर व्यापक चर्चा की. दोनो नेता दोनो देशों के बीच मौजूदा सहयोग से प्रसन्न थे. उन्होंने दक्षिण एशिया में लोकतंत्र में सहयोग की बेहतर संभावनाओं पर भी विचार किया.

द्विपक्षीय बैठकों के दौरान विभिन्न शासनाध्यक्षों ने दक्षेस में मोदी के बयान और भविष्य के प्रति उनकी दृष्टि की सराहना की. दक्षेस उपग्रह की पहल के लिए भी सदस्य देशों ने मोदी की प्रशंसा की. बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश आने का न्यौता दिया और प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि दक्षेस देशों के साथ संपर्क बढाना उनकी प्राथमिकता है. मोदी ने तोबगे को जनवरी में भारत की यात्रा करने और ‘जीवंत गुजरात’ शिखर सम्मेलन का हिस्सा बनने का न्यौता दिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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