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भारत-भूटान मिलकर करेंगे ”दक्षेस” क्षेत्र में प्रगति : प्रणब मुखर्जी

थिंपू : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत के भूटान के साथ रिश्तों को एक दूसरे की चिंताओं को समझने और व्यापक हित वाला अनुकरणीय बताते हुये आज कहा कि दोनों देश मिलकर आगामी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) शिखर सम्मेलन में दीर्घकालिक फैसलों के लिये रचनात्मक बातचीत में बेहतर योगदान कर सकते हैं. राष्ट्रपति […]

थिंपू : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत के भूटान के साथ रिश्तों को एक दूसरे की चिंताओं को समझने और व्यापक हित वाला अनुकरणीय बताते हुये आज कहा कि दोनों देश मिलकर आगामी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) शिखर सम्मेलन में दीर्घकालिक फैसलों के लिये रचनात्मक बातचीत में बेहतर योगदान कर सकते हैं.

राष्ट्रपति ने यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुये दोनों देशों को दक्षेस क्षेत्र की प्रगति, वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास के क्षेत्र में पूरी गंभीरता के साथ भूमिका निभाने को कहा. इस मौके पर प्रणब मुखर्जी ने भूटान में भारत की ओर से प्रायोजित कई कार्यक्रमों की भी शुरुआत की.

भूटान की अपनी दो दिन की यात्रा के आखिरी दिन मुखर्जी ने कहा, मैं यह सुझाव देना चाहता हूं कि भारत और भूटान दोनों को पूरी गंभीरता के साथ दक्षेस क्षेत्र की प्रगति के लिये बेहतर कार्यक्रमों, वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास के लिये पूरी गंभीरता के साथ अपनी भूमिका निभानी चाहिये. प्रणब की यह भूटान यात्रा पिछले 26 सालों में एक भारतीय राष्ट्रपति की पहली यात्रा है.

प्रणब ने यहां कन्वेंशन सेंटर में विशिष्ट लोगों को संबोधित करते हुये कहा, काठमांडो में होने वाली आगामी दक्षेस शिखर सम्मेलन में काफी अहम् बैठक होगी जिसमें भारत और भूटान दोनों मिलकर रचनात्मक विचार विमर्श और दूरगामी परिणामों के लिये मिलकर काम कर सकते हैं.

भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ इस कार्यक्रम में उपस्थित थे. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस कार्यक्रम में भारत के सहयोग से विद्यालय सुधार परियोजना, 546 किलोमीटर लंबे सडक मार्ग को दो लेन का करने और एक केंद्रीय विद्यालय विकास योजना की शुरुआत की.

इस दौरान भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद और भूटान के दि रॉयल सिविल सर्विस कमीशन और एक भूटान की रॉयल यूनिवर्सिटी और भारत के राष्ट्रीय नवप्रवर्तन न्यास सहित तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. समझौतों पर हस्ताक्षर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और भूटान के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में किये गये.

एक समझौता हैदराबाद की इंग्लिश एण्ड फॉरेन लंग्वेज यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद और दि रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान के बीच हुआ है. राष्ट्रपति ने भारत-भूटान संबंधों पर अपने संबोधन में कहा, मैं आज यह कह सकता हूं कि दोनों देशों के रिश्ते एक बेहतर उदाहरण है.

दोनों देशों के बीच आपसी लाभ वाली सफल भागीदारी रही है. हमारी सरकारों और लोगों के बीच गहरा विश्वास और भरोसा रहा है, हमने इस बात का ध्यान रखा कि हम निकट सहयोगी पडोसियों की तरह एक दूसरे के प्रति संवेदनशील रहें, और एक दूसरे की चिंताओं और व्यापक हितों का ध्यान रखें.

राष्ट्रपति ने कहा, हमें अभी काफी दूरी तय करनी है. आओ आगे बढें, आपसी मेलजोल और शांति से एक दूसरे को समझते हुये आगे बढें. बाद में जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि उत्कृष्ट द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर दोनों पक्षों ने संतोष जताया है और दोनों देशों के बीच इस विशेष दोस्ती को आगे और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

वक्तव्य के अनुसार भारत सरकार ने भूटान के सामाजिक आर्थिक विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया है और 2013 से 2018 की भूटान की 11वीं पंचवर्षीय योजना की सफलता के लगातार समर्थन की बात कही है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान द्विपक्षीय रिश्तों में और मजबूती और तिशीलता आई है.

उन्होंने कहा, सतत् विकास, सभी के लिये शिक्षा और निचले तबके की हमारी जनसंख्या की विशिष्टि जरुरतों को पूरा करने के लिये नवीन समाधान का विकास हमारा साझा उद्देश्य है. शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि भारत भूटान का समर्थन करता रहेगा और अपने प्रमुख शिक्षण संस्थानों में उन्हें सीट उपलब्ध कराता रहेगा.

उन्होंने कहा कि भारत ने भूटान के छात्रों को आयुर्वेद और विधि संस्थानों में भी ज्यादा सीट देने का फैसला किया है.

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