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भाजपा के शासन में दोस्ती के नये युग का आगाज करेंगे भारत और इजराइल

नयी दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंहका इजराइल में जोरदार स्वागत हुआ है. मोदी कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत रखने वाले राजनाथ सिंह का इजराइल दौरे की चर्चा आम इजराइली युवाओं में भी है. राजनाथ सिंह से पहले वाजपेयी सरकार में गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी 2000 में इजराइल के दौरे पर गये थे. भाजपा और […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंहका इजराइल में जोरदार स्वागत हुआ है. मोदी कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत रखने वाले राजनाथ सिंह का इजराइल दौरे की चर्चा आम इजराइली युवाओं में भी है. राजनाथ सिंह से पहले वाजपेयी सरकार में गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी 2000 में इजराइल के दौरे पर गये थे.
भाजपा और उसका पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इजराइल से अपनी वैचारिक नजदीकी का सार्वजनिक प्रदर्शन करने में कभी संकोच नहीं करते हैं. अभी तीन दिन पहले ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगरा में एक कार्यक्रम में कहा कि भारतीयों को जापान और इजराइल से सीखना चाहिए.
जाहिर है, ऐसे में जब भी केंद्र की सत्ता पर संघ के विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली भाजपा काबिज होती है, तो भारत व इजराइल के रिश्ते अत्यधिक आत्मीय हो जाते हैं. आडवाणी के दौरे के बाद भारत इजराइल संबंधों के एक नये युग की शुरुआत हुई थी, जिसका निर्वाह कुछ हद तक कांग्रेस की सरकार ने भी सत्ता में रहते हुए किया और कई मोर्चो पर इजराइज के साथ संधियां की. लेकिन भाजपा सरकार जैसी गर्मजोशी इजराइल के साथ संबंधों को लेकर कांग्रेस के शासन में नहीं दिखती है.
भाजपा के शासन में रहते हुए जहां इजराइज से रणनीतिक, अंतरिक्ष अनुसंधान, चरमपंथ से लडने जैसे अहम मुद्दों के साथ विकास पर दोनों देशों के बीच साङोदारी होती रही है, वहीं कांग्रेस के शासन में इन प्राथमिकताओं का क्रम थोडा बदल जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब इस साल सितंबर अंत में संयुक्त राष्ट्र संघ की सालाना असेंबली में शामिल होने न्यूयार्क गये थे, तब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामीन नेतानयाहू से गर्मजोशी पूर्ण माहौल में उनकी वहां आधे घंटे की मुलाकात हुई थी. नेतानयाहू ने मोदी को जल्द ही इजराइल आने का न्यौता दिया.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह के इजराइल दौरे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित इजराइल दौरे से जोड कर देखा जा सकता है. सिंह की वहां के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री, रक्षा मंत्री से मुलाकात प्रस्तावित है. इन बैठकों में मोदी के मेक इन इंडिया व रक्षा से जुडे विषयों पर दोनों देश के बीच बात होगी.
जैसा कि न्यूयॉर्क में मोदी से मुलाकात के दौरान नेतानयाहू ने परमाणु संपन्न ईरान और अतिवादी इस्लामिक संगठनों को लेकर अपनी चिंता साझा की थी, ऐसे में संभावना है कि सिंह की इस मुद्दे पर भी इजराइज से बात होगी. दोनों देशों के बीच चरमपंथ पर सहयोग को लेकर आपस में बात होगी. इस पीडा से दोनों पीडित हैं. सिंह इजराइली उद्योगपतियों को भारत में निवेश के लिए भी आमंत्रित करेंगे.
अबतक कैसा रहा है भारत इजराइज सहयोग
भारत और इजराइल के बीच आर्थिक, सैन्य, कृषि, अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे मुद्दों पर साङोदारी है. 2002 में इजराइल स्पेस रिसर्च के प्रमुख कालोनल हैरेवेन और इसरो प्रमुख डॉ के कस्तुरीरंगन की मौजूदगी में अंतरिक्ष अनुसंधान में साङोदारी को लेकर समझौता हुआ था. 2006 में भारत इजराइल के बीच दीर्घकालिक कृषि समझौते हुए. माइक्रो इरीगेशन पर दोनों देशों ने 50 मिलियन डॉलर का साझा फंड बनाया. 2011 में दोनों देशों ने एग्रीकल्चर कॉपरेशन एग्रीमेंट किया. इसके अलावा शहरी जलापूर्ति के लिए भी दोनों के बीच करार है. जल तकनीक पर भी एक समझौता है. फल उत्पादन को लेकर भी करार है. जून 2013 में भारत के कई राज्यों की हिस्सेदारी वाला 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल वेस्ट वॉटर ट्रिटमेंट प्लांट देखने इजराइल के दौरे पर गया था. दोनों देश बडे व्यापारिक साङोदार हैं. अब वे फरवरी में हुए होमलैंड सुरक्षा समझौते पर कदम आगे बढाते हुए बडे सुरक्षा व चरमपंथ विरोधी साझीदार भी बनने की दिशा में आगे बढने वाले हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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