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छोटे सहयोगियों की आड़ में शिवसेना को भाजपा की बाय-बाय

मुंबई : भाजपा-शिवसेना का 25 साल पुराना गंठबंधन टूट गया है. पार्टी की महाराष्ट्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस व प्रमुख नेता एकनाथ खडसे ने राज्य में दोनों दलों का गंठबंधन टूट जाने का एलान किया. दोनों नेताओं ने कहा कि शिवसेना हमेशा बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री के पद पर अड़ी रही. प्रदेश अध्यक्ष […]

मुंबई : भाजपा-शिवसेना का 25 साल पुराना गंठबंधन टूट गया है. पार्टी की महाराष्ट्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस व प्रमुख नेता एकनाथ खडसे ने राज्य में दोनों दलों का गंठबंधन टूट जाने का एलान किया. दोनों नेताओं ने कहा कि शिवसेना हमेशा बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री के पद पर अड़ी रही.
प्रदेश अध्यक्ष फड़नवीस ने कहा कि हम अपने चार छोटे सहयोगी दलों के आत्मसम्मान को बचाना चाहते थे और शिवसेना से जब भी हमारे पास कोई प्रस्ताव आया तो उसमें या तो हमारी सीटें कम कर दी गयी या फिर छोटे सहयोगियों शेतकारी संगठन, आरएसपी जैसे दलों की सीटों कम कर दी गयी. उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना एक ही संख्या के आसपास और मुख्यमंत्री पद पर बातचीत करती रही है.
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नामांकन के मात्र दो दिन बचे हैं और ऐसे में पार्टी अपने चार सहयोगियों के साथ अकेले चुनाव लड़ेगी. फड़नवीस ने कहा कि हम जिससे दोस्ती करते हैं, उससे जीवन भर संबंध का निर्वाह करते हैं. उन्होंने कहा कि यही काम हम अपने छोटे सहयोगियों के कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिवसेना हमारी मित्र थी और रहेगी. हम चुनाव में उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे और उससे उम्मीद करेंगे की वह भी हमारे खिलाफ कुछ नहीं बोले.
वहीं एकनाथ खडसे ने कहा कि हमारे दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे ने इस महायुति को बनाने में अहम भूमिका निभायी. उन्होंने कई दलों को इससे जोड़ा. हम कांग्रेस-एनसीपी की भ्रष्ट सरकार से महाराष्ट्र को मुक्त करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं प्रत्येक अहम बैठक में शामिल रहा हूं और हर बैठक में शिवसेना सीएम पद पर अड़ी रही. उन्होंने शिवसेना नेताओं को इंतजार कराने के बाद भेंट नहीं करने के आरोपों को खारिज किया. उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की नजर हम पर थी और वे मान रहे थे कि हम चुनाव में जीत दर्ज करायेंगे. गंठबंधन टूटने का संकेत आज उस समय मिल गया था जब अमित शाह का मुंबई दौरा रद्द हो गया था.
ध्यान रहे कि शिवसेना से पहले पिछले साल भाजपा के एक और महत्वपूर्ण सहयोगी जदयू से उसका अलगाव हो गया था.

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