नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि दलितों को समान अवसर देना ही काफी नहीं और इसके साथ उन्हें समरसता भी देनी होगी. विज्ञान भवन में केरल के दलित समाज सुधारक अय्यंनकाली के 152 वें जन्मदिवस पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दलितों को समान अवसर प्रदान करने के मामले में देश ने भले ही बडी उपलब्धि हासिल कर ली हो, लेकिन आवश्यकता है समरसता हासिल करने की.
उन्होंने कहा, ”अगर हम केवल समानता पर अटक जाते हैं, तो उससे कोई मदद नहीं मिलेगी, समरसता के लिए हमें अतिरिक्त प्रयास करने होंगे. समरसता के लक्ष्य को पूर्ण करना देश और समाज का सामूहिक दायित्व है. समता से भी बडी चीज है समरसता.” समरसता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ”एक ब्राह्मण को नौकरी मिल जाती है. एक दलित को नौकरी मिल जाती है. लेकिन केवल इससे काम नहीं चलेगा.
हमें एक कदम आगे बढना होगा. समाज में अंतिम पडाव सौहार्द का है. इसके लिए हमें समाज को लगातार जागरुक करना होगा.” अय्यंकाली के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह महात्मा गांधी ने 1930 में दांडी मार्च का आयोजन करके देश के स्वतंत्रता आंदोलन में बडा योगदान किया था उसी तरह अय्यंनकाली ने 1913 में दलितों के उत्थान के लिए सम्मेलन करके इस दबे कुचले समाज को आगे बढाने में योगदान किया.
उन्होंने महात्मा गांधी के भारत लौटने से पहले दलितों के उद्धार के लिए आंदोलन चलाया. प्रधानमंत्री ने कहा, इस देश का दुर्भाग्य रहा है कि किसी कारणवश समाज के लिए जीने वाले लोगों को भुला दिया गया है. लोकसभा चुनावों में केरल में भाजपा का मत प्रतिशत 6.4 से बढ कर 10.3 हो गया है. भाजपा इसे और बढाने के लिए प्रयासरत है और इसके लिए वह दलित और पिछडे समाज पर विशेष ध्यान दे रही है. अय्यंककाली दलित समाज सुधारक थे और श्रीनारायण गुरु एझावा समुदाय के आध्यात्मिक नेता थे.