अर्थव्यवस्था में सुस्ती, लगातार जीडीपी के घटते अनुमान के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं के बढ़ते आंकड़ों ने सरकार को परेशान कर रखा है. इन मुद्दों को लेकर विपक्ष भी हमलावर बना हुआ है. सरकार भी इन समस्याओं से निपटने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन फिलहाल इसका असर होता नहीं दिख रहा है.
ताजा ममला बेरोजगारी से जुड़ा. देश में बेरोजगारी की मार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कोयंबटूर (तमिलनाडु) नगर निगम में सफाईकर्मी के 549 पदों के लिए करीब 7,000 इंजीनियर व अन्य ग्रैजुएट्स ने आवेदन किया है.
आधिकारिक सूत्रोंकेमुताबिक, ग्रेड-1 सफाईकर्मियों की भर्ती के लिए साक्षात्कार, सर्टिफिकेट की जांच आदि की तीन दिवसीय प्रक्रिया में सात हजार आवेदक शामिल हुए. प्रक्रिया बुधवार को शुरू हुई. 70 फीसद आवेदक एसएसएलसी की न्यूनतम अर्हता ही पूरी कर पाये हैं. इनमें ज्यादातर इंजीनियर, स्नातकोत्तर, स्नातक और डिप्लोमाधारक हैं.
कुछ मामलों में पाया गया कि आवेदक पहले से ही निजी कंपनियों में काम कर रहे थे. लेकिन, सरकारी नौकरी और 15,700 रुपये की शुरुआती वेतन ने उन्हें इस ओर आकर्षित किया. कुछ लोग तो 10 साल से अनुबंध के आधार पर सफाईकर्मी की नौकरी कर रहे थे. उन्होंने स्थायी नौकरी के लिए आवेदन किया है.
सूत्रों ने बताया कि योग्यता के अनुरूप नौकरी नहीं मिलने के कारण स्नातक आवेदक अपने परिवार की मदद के लिए शहर में छह से सात हजार रुपये मासिक की नौकरी करते हैं और 12 घंटे तक ड्यूटी देते हैं. दूसरी तरफ, सुबह और शाम तीन-तीन घंटे सफाईकर्मी का काम करने वालों को 20 हजार रुपये मिल जा रहे हैं.