नयी दिल्लीः भारत आरसीईपी यानी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में शामिल नहीं होगा और देश के बाजार सस्ते विदेशी सामान से नहीं भरेंगे. ये एक ऐसा समझौता था, जिस पर साइन करने से भारत चीन के चंगुल में बुरी तरह फंस सकता था. लेकिन मोदी सरकार ने घरेलू उद्योगों के हितों को देखते हुए इस समझौते में शामिल न होने का फैसला लिया.
प्रधानमंत्री मोदी ने आरसीईपी शिखर सम्मेलन में हिस्सा तो लिया लेकिन वहां भारत के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया.पीएम मोदी ने कहा कि प्रस्तावित समझौते से सभी भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक ढंग से समाधान नहीं होने की वजह से उसने समझौते से बाहर रहने का फैसला किया है. शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के नेता उपस्थित थे.
किसानों के विरोध के बाद आरसीईपी पर पीछे हटी सरकार
आरसीईपी का हिस्सा नहीं बनने के सरकार के फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को कहा कि किसानों के भारी विरोध के चलते सरकार पीछे हटने को विवश हुई. प्रियंका ने ट्वीट किया,भाजपा सरकार पूरे गाजे बाजे के साथ आरसीईपी समझौते (किसान सत्यानाश समझौता) के जरिए भारत के किसानों के हित कुचलकर भारत के राष्ट्रीय हित को विदेशी देशों के हवाले करने जा रही थी.
उन्होंने कहा, देश के किसानों ने पूरी एकता के साथ इसका विरोध किया और स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी मेहनत को विदेशी कम्पनियों के फायदे की भेंट नहीं चढ़ने देंगे. कांग्रेस महासचिव ने कहा, भाजपा सरकार को आज आरसीईपी समझौते पर अपना निर्णय रोकना पड़ा है. किसानों बहनों-भाइयों को बधाई. कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का शुक्रिया जिन्होंने इस मुद्दे पर किसानों का व्यापक साथ दिया.
आरसीईपी से अलग होना मोदी के मजबूत नेतृत्व को दर्शाता है
गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि आरसीईपी पर हस्ताक्षर न करने का भारत का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और सभी परिस्थितियों में राष्ट्रीय हित की रक्षा करने के दृढ़ संकल्प को दिखाता है. सिलसिलेवार ट्वीट्स में शाह ने कहा कि इस फैसले से भारत के किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सेक्टर, डेयरी और विनिर्माण सेक्टरों को सहयोग मिलेगा.
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्षों से यह कड़ा रुख रहा है कि अगर हमारे हितों का ध्यान नहीं रखा गया तो हम समझौता नहीं करेंगे और यह अतीत की तुलना में स्वागत योग्य कदम है जब कमजोर संप्रग सरकार व्यापार के मुद्दे पर झुक गयी थी और राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं कर सकी.
भारत के हितों, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के खिलाफ है आरसीईपी
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि आरईसीपी समझौता भारत के आर्थिक हित एवं राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के खिलाफ है. भारत ने चीन समर्थित इस मुक्त व्यापार समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि भारत विशेष रूप से व्यापार घाटे, अनुचित आयात से मजबूत सुरक्षा एवं घरेलू वस्तुओं के लिए बाजार के बेहतर अवसर को लेकर अपनी मांग बरकरार रखने के लिए अपने रुख पर अडिग रहा है.