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चंद्रयान-2 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन, पढ़ें- 10 बड़ी बातें

बेंगलुरुः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-2 मिशन पर आज देश को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए कहा कि आप मक्खन पर लकीर खींचने वाले नहीं बल्कि पत्थर पर लकीर खींचने वाले थे. उन्होंने कहा कि आखिरी कदम पर चंद्रयान चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा. साथ […]

बेंगलुरुः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-2 मिशन पर आज देश को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए कहा कि आप मक्खन पर लकीर खींचने वाले नहीं बल्कि पत्थर पर लकीर खींचने वाले थे. उन्होंने कहा कि आखिरी कदम पर चंद्रयान चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा. साथ कहा कि छोटी असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए.

संबोधन खत्म करने के बाद पीएम मोदी ने सभी वैज्ञानिकों से हाथ मिलाया. भावुक हुए इसरो प्रमुख तो पीएम के भी आंसू निकल आए. पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत भारत मां के जयकारे के साथ की. पढ़ें उनके संबोधन की 10 बड़ी बातें…

– मैं सभी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के परिवार को भी सलाम करता हूं. उनका मौन लेकिन बहुत महत्वपूर्ण समर्थन आपके साथ रहा. हम असफल हो सकते हैं, लेकिन इससे हमारे जोश और ऊर्जा में कमी नहीं आएगी. हम फिर पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ेंगे.

– साथियों मैं कल रात को आपकी मनस्थिति को समझता था. आपकी आंखें बहुत कुछ कहती थीं. आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ पाता था. ज्यादा देर मैं आपके बीच नहीं रुका. कई रातों से आप सोए नहीं हैं. फिर भी मेरा मन करता था, कि एक बार सुबह आपको फिर से बुलाऊं. आपसे बातें करूं. इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति अलग ही अवस्था में था, बहुत से सवाल थे. बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते गए. अचानक सबकुछ नजर आना बंद हो गया है. मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है.

– मैं आपसे प्रेरणा लेने के लिए सुबह-सुबह मैं यहां पहुंचा हूं. मैं आपको ज्ञान क्या दे सकता हूं.

– अपने वैज्ञानिकों से मैं कहना चाहता हूं कि भारत आपके साथ है. आप सब महान प्रोफेशनल हैं जिन्होंने देश की प्रगति के लिए संपूर्ण जीवन दिया और देश को मुस्कुराने और गर्व करने के कई मौके दिए. आप लोग मक्खन पर लकीर करनेवाले लोग नहीं हैं पत्थर पर लकीर करने वाले लोग हैं.

– रुकावटों से हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है. हमें अपने स्पेस प्रोग्राम और वैज्ञानिकों पर गर्व है.

– इसरो कभी भी हार नहीं मानने वाली संस्कृति का उदाहरण है. अगर हम शुरुआती दिक्कतों और चुनौतियों से हार जाते तो इसरो दुनिया की श्रेष्ठ ऐजेंसी का स्थान नहीं ले पाता. परिणाम अपनी जगह है, अपने वैज्ञानिकों और इंजिनियरों को प्रयासों पर गर्व है.

– हर मुश्किल हर कठिनाई हमें कुछ सिखाकर जाती है, इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती है. ज्ञान का सबसे बड़ा शिक्षक है तो विज्ञान है, विज्ञान में विफलता होती ही नहीं है प्रयोग और प्रयास होती है, हर प्रयोग हर प्रयास ज्ञान की नींव रखता है.

– हमें आपके प्रयास असीम सामर्थ का अहसास दिलाता है, चंद्रयान के सफर का आखिरी पड़ाव, भले ही आशा के अनुकूल नहीं रहा हो, लेकिन हमें ये भी याद रहना होगा, कि चंद्रयान की यात्रा शानदार रही है, जानदार रही है. इस पूरे मिशन के दौरान देश आनंदित रहा है गौरवान्वित महसूस किया. इस समय भी हमारा ऑर्बिटर चांद का चक्कर लगा रहा है.

– ये आप ही लोग हैं जिसने पहले प्रयास में मंगल ग्रह पर भारत का झंडा फहराया था, इससे पहले दुनिया में यह उपलब्धि किसी के पास नहीं थी. हमारे चंद्रयान ने ही दुनिया पर चांद पर पानी देने की अहम जानकारी दी.

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