बीजेपी नेता नितिन गडकरी पहले नेता नहीं हैं जिनकी जासूसी की गई है. इस मामले में गडकरी की प्रतिक्रिया देखकर नहीं लगता है कि उनको जासूसी की खबर नहीं थी. वे जानते हैं कि यह कार्य उनके किसी करीबी का है जिसका उनके यहां रोज का आना जाना है.
इससे पहले भी कई नेताओं की जासूसी की खबर सामने आ चुकी है. बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी की भी जासूसी की जा चुकी है. इस मामले में शक की सुई बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी पर गई थी. हालांकि इसको जल्द ही पार्टी के बड़े नेताओं ने संभाल लिया और खबर दब गई.
वहीं बीजेपी नेता अरुण जेटली के कॉल डिटेल्स गलत तरीके से निकाले जाने के मामले ने भी खासा तूल पकड़ा था. इसके बाद कई बीजेपी नेताओं की जासूसी का खुलासा हुआ. गौरतलब है कि 16 फरवरी को दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल अरविंद डबास जेटली फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तार हुआ था. इस जासूसी कांड में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया.
इस मामले की जांच में लगी एसेंसी की माने तो इन लोगों ने 60 लोगों के कॉल डीटेल्स निकाले थे. इसमें अरुण जेटली समेत नितिन गडकरी, विजय गोयल, सुधांशु मित्तल जैसे कुछ अन्य नेताओं के अलावा पूर्व आपीएल कमिश्नर ललित मोदी का नाम भी शामिल है. वर्ष 2005 में पूर्व सांसद अमर सिंह के फोन टैपिंग का मामला भी सामने आ चुका है.
यूपीए सरकार के रक्षा मंत्री की भी जासूसी का मामला सामने आया था. पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी के कार्यालय में ‘बगिंग’ यानि छिपा हुआ माइक्रोफ़ोन लगाने की खबर आई थी. इस मामले ने भी काफी तूल पकड़ा था. हसलांकि रक्षा मंत्रालय ने इस खबर का खंडन कर दिया था. मंत्रालय ने कहा था कि खबर सही नहीं है. मंत्रालय ने कहा था कि रक्षामंत्री और साउथ ब्लॉक के अन्य दफ़्तरों में रूटीन चैकिंग होती रहती है. ऐसी चैकिंग के बाद कुछ भी नहीं पाया गया है.