नयी दिल्ली : सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को स्वीकार किया कि देश में पिछले पांच साल में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी के कारण होने वाली मौतों की वजह से सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव करना जरूरी है. गडकरी ने इस मकसद से राज्यसभा में मोटर यान (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया. यह विधेयक लोकसभा से 23 जुलाई को पारित किया जा चुका है.
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गडकरी ने सदन में संशोधन विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि 30 साल पुराना मौजूदा कानून सड़क हादसों को रोकने और परिवहन प्रक्रिया को सुचारू बनाने में कामयाब नहीं हो पा रहा है. इसमें संशोधन की दो साल से चल रही कोशिशों का जिक्र करते हुए गडकरी ने बताया कि इस विधेयक को स्थायी समिति और प्रवर समिति में विस्तृत चर्चा के बाद पेश किया गया है.
हालांकि, कांग्रेस के सदस्य बीके हरिप्रसाद ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उच्च सदन में पेश किये गये विधेयक को त्रुटिपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक लोकसभा में पेश किये गये विधेयक से भिन्न है. इसमें कुछ प्रावधान जोड़े गये हैं, जिनका जिक्र लोकसभा में पेश विधेयक में नहीं था. हरिप्रसाद ने नियमों का हवाला देते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू से मांग की कि दोनों सदनों में एक समान विधेयक पेश किया जाना चाहिए. इसलिए सरकार विधेयक की त्रुटियों को दूर करने के बाद ही इसे पेश करे.
इस पर सभापति नायडू ने कहा कि विधेयक पेश किया जा चुका है. इसलिए वह हरिप्रसाद द्वारा उठाये गये मुद्दे पर विस्तार से विचार कर बाद में व्यवस्था देंगे. सभापति की अनुमति से गडकरी ने विधेयक के मुख्य प्रावधानों का जिक्र करने से पहले कांग्रेस सदस्य की चिंता को खारिज करते हुए बताया कि उन्होंने वही विधेयक पेश किया है, जो लोकसभा में पारित किया गया है.
उन्होंने बताया कि मौजूदा व्यवस्था से लोगों को बहुत असुविधाएं हो रही हैं. भ्रष्टाचार की भी बहुत शिकायतें आयी हैं. ऐसे में इस संशोधन विधेयक की जरूरत पड़ी. गडकरी ने इससे राज्य सरकारों के अधिकारों में कटौती होने की आशंकाओं को दूर करते हुए आश्वासन दिया कि राज्यों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं हैं. उनके अधिकार क्षेत्र में कोई दखल नहीं दिया जायेगा.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस और वाहनों के पंजीकरण की व्यवस्था को ऑनलाइन किया गया है, जिससे फर्जी लाइसेंस बनने सहित अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम लग सकेगी. साथ ही, अप्रशिक्षित वाहन चालकों के कारण होने वाले हादसों को रोकने के लिए सभी जिलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोले जायेंगे.
गडकरी ने सदन से मोटरयान संशोधन विधेयक पारित करने की अपील करते हुए कहा कि परिवहन व्यवस्था में व्यापक सुधार के लिए राष्ट्रीय परिवहन नीति बनायी जा रही है. इसमें ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया में सुधार के अलावा वाहन पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जायेगा. साथ ही, मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तहत एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट बनाने, एप आधारित टेक्सी सेवा को नियमों के दायरे में लाने, दोषपूर्ण वाहनों पर नियंत्रण एवं परिवहन संबंधी अन्य खामियों को दूर करने के लिए सजा के सख्त प्रावधान विधेयक में प्रस्तावित हैं.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सहित दक्षिण के अन्य राज्यों में परिवहन व्यवस्था में सुधार को देखते हुये सरकार तमिलनाडु मॉडल को इस विधेयक के माध्यम से पूरे देश में लागू करना चाहती है. विधेयक पर चर्चा शुरू होने से पहले वाम दलों के सदस्य ई करीम और बिनॉय विस्वम ने दो संशोधन प्रस्ताव भी पेश किये. इस विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के हरिप्रसाद ने कहा कि सरकार ने स्थायी समिति के सुझावों को भी विधेयक में शामिल नहीं किया.
उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के नाम पर पेश किया गया यह विधेयक कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के मकसद से पेश किया गया है. हरिप्रसाद ने कहा कि सरकार ने महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में बेहतर परिवहन व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि खुद महाराष्ट्र और तेलंगाना सहित अन्य राज्यों के परिवहन मंत्रियों ने भी विधेयक का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक परमिट राज का नया दरवाजा खोलेगा.
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के विनय सहस्रबुद्धे ने विभिन्न स्तर पर प्रशासन को बेहतर बनाने की दिशा में इसे ऐतिहासिक विधेयक बताते हुए कहा कि मौजूदा कानून में बदलाव की लंबे समय से बदलाव अपेक्षित था, लेकिन यथास्थितिवाद के कारण बदलाव मुमकिन नहीं हो पाया. सहस्रबुद्धे ने कहा कि देश में सड़क सुरक्षा के मामले में भयावह स्थिति है. सड़क हादसों में 2010 से 2017 के दौरान 31 फीसदी इजाफा हुआ. इनमें मरने वाले लोगों में युवाशक्ति का ह्रास देश को मानव संसाधन का भारी नुकसान पहुंचा रहा है.
चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकारों में कटौती होगी. उन्होंने कहा कि विधेयक में संसद की स्थायी समिति की एक भी सिफारिश या राज्य की एक भी आपत्ति को शामिल नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि विधेयक से सहयोगात्मक संघवाद की भावना प्रभावित होती है. इसके साथ ही, उन्होंने आशंका जतायी कि विधेयक के प्रावधानों से परिवहन क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा.
सपा के रविप्रकाश वर्मा ने कहा कि हर साल सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि सड़क चलने के लिए है, मरने के लिए नहीं. विधेयक के प्रावधानों का जिक्र करते हुए वर्मा ने कहा कि दुर्घटना की आशंका वाले स्थानों की पहचान की जानी चाहिए और वैसे मोड़ों को ठीक करने पर जोर दिया जाना चाहिए. वर्मा ने यातायात आचरण और यातायात संस्कृति को दुरूस्त करने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए.
अन्नाद्रमुक सदस्य ए नवनीत कृष्णन ने विधेयक को अच्छा बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय परिवहन नीति में राज्यों से परामर्श के स्थान पर उनकी सहमति पर ध्यान देना चाहिए. बीजद के सस्मित पात्रा ने विधेयक के कई प्रावधानों का स्वागत किया. जदयू सदस्य कहकशां परवीन ने भी विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है. उन लोगों में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा होती है.
कहकशां परवीन ने यातायात नियमों के संबंध में जागरूकता अभियान चलाने और वाहनों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी किये जाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि कुछ नयी मोटरसाइकिलों की सीटों की बनावट भी ऐसी होती है कि दुर्घटनाएं ज्यादा होती है. उन्होंने कोलकाता में आदमी द्वारा आदमी को ढोने के चलन को समाप्त करने की मांग भी की.
टीआरएस के बंदा प्रकाश ने भी विधेयक के कई प्रावधानों का स्वागत किया और राज्यों को भी साथ लेकर चलने की जरूरत पर बल दिया. माकपा के इलामारम करीम ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के नाम पर क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यों का अधिकार भी धीरे धीरे लिया जा रहा है.
राजद के मनोज कुमार झा ने कहा कि विधेयक संघवाद की भावना को प्रभावित करता है और इसके प्रावधनों से निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. द्रमुक के एम षणमुगम ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि इससे निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने तमिलनाडु में सार्वजनिक यातायात व्यवस्था का भी जिक्र किया और कहा कि वहां ज्यादातर बसें सरकारी हैं.