पठानकोट : जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से गैंगरेप और उसके बाद उसकी हत्या के मामले में फैसले से पहले पंजाब के पठानकोट कोर्ट और कठुआ में सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. पठानकोट कोर्ट में इस मामले में सोमवार को फैसला आना है.
कठुआ जिला के रसाना में हुए इस दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले ने देशको हिला दिया था. मामले की सुनवाई 3 जून, 2019 को पूरी हुई. कोर्ट ने इन्हें रणबीर दंड संहिता के साथ-साथ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या) और 376डी (सामूहिक दुष्कर्म) का दोषी पाया. आरोप तय करने के बाद पठानकोट के जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने फैसला सुनाने की तारीख 10 जून मुकर्रर कर दी थी.
पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, कठुआ जिले के रसाना गांव में 10 जनवरी, 2018 को आठ साल की एक बच्ची का अपहरण कर गांव के एक धार्मिक स्थल में कथित तौर पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया. बाद में लाठी से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी गयी.
कठुआ में वकीलों ने क्राइम ब्रांच के अफसरों को इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं करने दी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और देश की सर्वोच्च अदालत ने केस की सुनवाई जम्मू-कश्मीर से बाहर करने का आदेश दिया. इसके बाद एक जून, 2018 से कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट जिले में इस मामले की दैनिक आधार पर सुनवाई शुरू हुई.
आरोपियों को पंजाब के जेल में शिफ्ट किया
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हस्तक्षेप के बाद किशोर आरोपी को छोड़कर सभी को पंजाब के गुरदासपुर जेल में शिफ्ट कर दिया गया. बचाव पक्ष के वकीलों की संख्या भी सीमित कर दी गयी.
पुलिस वालों की हुई गिरफ्तारी
क्राइम ब्रांच ने ग्राम प्रधान सांजी राम, उनके बेटे विशाल, किशोर भतीजे और उनके दोस्त आनंद दत्ता के अलावा दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी गिरफ्तार किया. हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्ता पर आरोप है कि उन्होंने सांजी राम से 4 लाख रुपये लेकर महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिये.
किशोर आरोपी के खिलाफ शुरू नहीं हुआ मुकदमा
कठुआ रेप एंड मर्डर केस के आठ आरोपियों में सात के विरुद्ध जिला और सत्र न्यायाधीश ने बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया. किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अब तक शुरू नहीं हुआ है, क्योंकि उसकी उम्र का निर्धारण करने वाली याचिका जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट में विचाराधीन है.
आरोपियों का समर्थन करने पर दो मंत्रियों की कुर्सी गयी
इस मामले में भाजपा के दो मंत्रियों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. तत्कालीन पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा रहे भाजपा के मंत्रियों चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा ने आरोपियों के समर्थन में निकाली गयी रैली में हिस्सा लिया था. इससे सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों पीडीपी और भाजपा का विवाद बढ़ गया था.