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बंगाल में समय से पहले प्रचार बैन पर भड़का विपक्ष, पूछा- पीएम की रैली के बाद प्रचार पर रोक क्यों ?

लखनऊ : पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और भाजपा को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि एक दिन पहले चुनाव प्रचार पर रोक लगाना गलत है और अगर रोक लगानी ही थी तो उसे कल से ही लागू कर देना चाहिए था. केंद्र की […]

लखनऊ : पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और भाजपा को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि एक दिन पहले चुनाव प्रचार पर रोक लगाना गलत है और अगर रोक लगानी ही थी तो उसे कल से ही लागू कर देना चाहिए था. केंद्र की सरकार के दबाव में आकर चुनाव आयोग ने बंगाल में एक दिन पहले प्रचार पर रोक लगा दी है वो भी पीएम मोदी की आज होने वाली दो रैलियों के बाद…इसकी हमारी पार्टी बसपा कड़ी शब्दों में निंदा करती है.

मायावती ने कहा कि यदि चुनाव आयोग को रोक लगानी थी तो आज सुबह से ही चुनाव प्रचार को रोक दिया जाना चाहिए था. ऐसा नहीं हुआ जिससे यह बात साफ है कि इस बार का चुनाव फ्री एंड फेयर नहीं हो पाया. हमारे लोकतंत्र को भारी आघात पहुंच रहा है. यह बहुत ही निंदनीय और शर्मनाक है. भाजपा की कोशिश बंगाल के मुद्दे को गर्माने की है जिससे सरकार की नाकामियों से लोगों का ध्यान हटे. लेकिन यूपी के तरह बंगाल की जनता भाजपा को करारा जवाब देगी.

बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में भी भाजपा और आरएसएस के लोगों ने बंगाल जैसी स्थिति पैदा करने की पूरी-पूरी कोशिश की थी लेकिन हमारे गंठबंधन ने इनके मंसूबों पर अभी तक पानी फेरा है और आखिरी चरण के वोट पड़ने तक भी हम उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगे. हमें अपने गंठबंधन पर पूरा-पूरा भरोसा है.

मामले पर कांग्रेस का प्रेस कॉन्फ्रेंस

मामले को लेकर कांग्रेस की ओर से भी प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी और शाह के आगे चुनाव आयोग झुक गया है. चुनाव आयोग का फैसला संविधान के खिलाफ है. पंडित विद्यासागर की मूर्ति भाजपा ने तोड़ी है.चुनाव आयोग पर कांग्रेस ने हमला करते हुए कहा कि आयोग ने पीएम मोदी की 2 रैलियों के लिए आज रात 10 बजे के बाद से पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर रोक लगायी. आयोग ने मोदी की रैलियों का ध्यान रखा.

चुनाव प्रचार पर रोक समझ से परे : येचुरी
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने पश्चिम बंगाल में जारी चुनावी हिंसा के मद्देनजर निर्धारित समय से एक दिन पहले चुनाव प्रचार प्रतिबंधित करने के चुनाव आयोग के फैसले को समझ से परे बताते हुए आयोग से पूछा है कि प्रचार पर रोक लगाने का समय राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों के बाद क्यों निर्धारित किया गया है. येचुरी ने बुधवार को आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिंसा के लिये जिम्मेदार भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ आयोग ने कोई कार्रवाई करने की बजाय प्रचार पर रोक लगा दी. आयोग का यह फैसला समझ से परे है. येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘एक दिन पहले चुनाव प्रचार रोकने का चुनाव आयोग का फैसला समझ से परे है.

यह चुनाव आयोग का निर्णय नहीं, मोदी और शाह का निर्देश है:
ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार के समय में कटौती करने के चुनाव आयोग के फैसले पर कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने बुधवार रात कहा कि यह चुनाव आयोग का फैसला नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का निर्देश है. यह चुनाव राज्य पुलिस को अंधेरे में रखकर केंद्रीय सुरक्षा बलों से कराया जा रहा है. आयोग का निर्णय अभूतपूर्व, असंवैधानिक, अनैतिक और राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है.

19 मई को राज्य की नौ सीटों पर चुनाव

उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब आयोग को चुनाव में निर्धारित अवधि से पहले प्रचार प्रतिबंधित करना पड़ा हो. 19 मई को दमदम, बारासात, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जादवपुर, कोलकाता दक्षिण और कोलकाता उत्तर में चुनाव होना है.

अनुच्छेद 324 में क्या है
इस अनुच्छेद के तहत आयोग ऐसे किसी भी मामले में दखल दे सकता है, जिनमें किसी प्रकार की गड़बड़ी या अस्पष्टता लग रही हो. इस के तहत आयोग को स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए कुछ शक्तियां दी गयी हैं. वह प्रशासन के अधिकारियों की तैनाती या छुट्टी, प्रचार के समय की अवधि तय करने का फैसला ले सकता है.

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