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कांग्रेस का आरोप, मोदी और अमित शाह के अहंकारी चरित्र को आडवाणी ने बेनकाब किया

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने लालकृष्ण आडवाणी के ताजा ब्लॉग को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर तीखा हमला बोला और दावा किया कि आडवाणी ने अपने दोनों ‘नाकाबिल शिष्यों’ के ‘अहंकारी चरित्र’ को बेनकाब कर दिया है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारी […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने लालकृष्ण आडवाणी के ताजा ब्लॉग को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर तीखा हमला बोला और दावा किया कि आडवाणी ने अपने दोनों ‘नाकाबिल शिष्यों’ के ‘अहंकारी चरित्र’ को बेनकाब कर दिया है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारी सेना का हौसला कौन पस्त कर रहा है?

पाकिस्तान परस्त कौन है? राष्ट्र विरोधी कौन है? ऐसे कई सवाल हैं जो राजनीतिक पटल पर उछाले जा रहे हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और मोदी जी एवं अमित शाह के गुरु आडवाणी जी ने ब्लॉग के जरिए इनके अहंकरी चरित्र और चेहरे को बेनकाब कर दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘‘ आडवाणी जी ने स्पष्ट कर दिया कि राजनीतिक विरोधी को राष्ट्र विरोधी कहना गलत है और प्रजातंत्र की परिपाटी के विरूद्ध भी है.’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ हम आडवाणी जी के बहुत सारे विचारों से असहमत हैं. लेकिन उन्हें धोखा देने वाले उनके दोनों चेले- मोदी जी और शाह जी जरा सा भी शर्मसार नजर नहीं आए.

यहां तक उन्होंने अपने गुरु की बेबाक की नसीहत पर ध्यान नहीं दिया. भारत की संस्कृति में नाकाबिल शिष्यों को क्या कहा जाता है, वो जनता जानती है.’ सुरजेवाल ने दावा किया, ‘‘मोदी जी औेर भाजपा के नेता पिछले पांच वर्षों के दौरान अपने विरोधियों को पाकिस्तान परस्त जैसी उपमा देते तथा दूसरे तरह के अपशब्द कहते रहे हैं.’ दरअसल, आडवाणी ने लंबे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए वृहस्पतिवार को कहा कि भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वाले को कभी ‘‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं माना है .

सरकार का विरोध करने वाले राजनीतिक स्वरों को ‘राष्ट्र विरोधी’ करार देने के चलन को लेकर छिड़ी बहस के बीच भाजपा के इस वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी काफी महत्व रखती है. ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट (राष्ट्र प्रथम, फिर पार्टी, स्वयं अंत में)’ शीर्षक से अपने ब्लॉग में आडवाणी ने कहा, ‘‘ भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सम्मान है.

अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को कभी ‘दुश्मन’ नहीं माना, बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना . ‘ उन्होंने कहा, ‘‘ इसी प्रकार से राष्ट्रवाद की हमारी धारणा में हमने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं माना. पार्टी (भाजपा) व्यक्तिगत एवं राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता को प्रतिबद्ध रही है . ‘

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