नयी दिल्ली:यूजीसी ने डीयू का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार यूजीसी ने चार वर्षीय पाठ्यक्रम को असंवैधानिक करार दिया है. यूजीसी ने तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में दाखिले की बात कही है. दोनों के बीच बढ़ते विवाद से छात्रों के भविष्य पर ग्रहण लग सकता है. दाखिला प्रक्रिया में और देर हो सकती है.
इससे पहले डीयू के मीडिया संयोजक मलय नीरव ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें एक नया प्रस्ताव प्राप्त हुआ है जिसमें ऑनर्स डिग्री तीन वर्ष में देने की बात कही गयी है. हमारे पास इन प्रस्ताव पर अमल के लिए काफी समय नहीं है. हमने यूजीसी को इस बारे में पत्र लिखा है. अब हम नये प्रस्ताव पर यूजीसी की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.’ डीयू में नामांकन प्रक्रिया पर जारी अनिश्चितता के बीच नीरव ने कहा कि समय काफी बहुमूल्य है और प्रस्ताव में छह सूत्री फामरूला सुझाया गया है जिसमें कहा गया है कि आनर्स डिग्री तीन वर्ष में देना और दाखिला जल्द से जल्द शुरू करना विवि के लिए आसान होगा.
उन्होंने कहा, ‘यूजीसी ने हमें पत्र लिखा है और हमसे पुराने तीन वर्षीय प्रारूप के तहत छात्रों का दाखिला लेने का आग्रह किया है. हमने उनसे कहा है कि हमें पुरानी प्रक्रिया का पालन करने में समय लगेगा, क्योंकि यहां पाठय़क्रम समिति, विविध निकाय होते हैं और इस उद्देश्य के लिए बैठक की जरूरत होगी.’ नीरव ने कहा कि हालांकि, अगर हम वर्तमान (चार वर्षीय कोर्स) को तीन वर्षीय प्रारूप में तोड़ दें जिसमें बीए (ऑनर्स) तीन वर्ष में दिया जाये तो हम छात्रों का जल्द से जल्द दाखिला शुरू कर सकते हैं. डीयू के रजिस्ट्रार ने बुधवार को कहा था कि विवि को कुछ प्रबुद्ध नागरिकों से दस्तावेज प्राप्त हुए हैं जिसमें वर्तमान स्थिति के समाधान के लिए कुछ ठोस उपाय सुझाये गये हैं.
स्नातक स्तरीय पाठय़क्रम में गुरुवार की सुबह से दाखिले की प्रक्रिया शुरू करने के यूजीसी के निर्देश को नजरंदाज करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने आयोग के पाले में विषय को वापस डाल दिया और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए शिक्षाविदों की ओर से सुझाये गये प्रस्ताव को भेजा. यूजीसी ने बुधवार की रात दिल्ली विवि को विवादास्पद चार वर्षीय स्नातक पाठय़क्रम वापस लेने और पुराने तीन वर्षीय ढांचे के तहत दाखिला शुरू करने के लिए गुरुवार की सुबह की समय सीमा तय की थी.
यूजीसी के आदेश के जवाब में डीयू ने आयोग को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया है कि ‘विश्वविद्यालय का मत है कि वर्तमान स्थिति में दाखिले में देरी हो गयी है, समय महत्वपूर्ण है. इसलिए यूजीसी और डीयू को कुछ विद्वानों की ओर से भेजा गया प्रस्ताव जरूरी राह दिखा सकता है. डीयू की पंजीयक अलका शर्मा के हस्ताक्षरवाले पत्र के अनुसार, ‘यह प्रस्ताव सभी छात्रों को ऑनर्स के साथ तीन वर्षीय स्नातक कोर्स में दाखिले और नये सिरे से पंजीकरण की जरूरत को अनावश्यक बताता है. छात्रों और अकादमिक समुदाय के सर्वश्रेष्ठ हितों को ध्यान में रखते हुए हम विधिक निकाय की बैठक बुलाने के लिए आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.’
प्रस्ताव में क्याहै
प्रस्ताव में तीन वर्षीय ऑनर्स कार्यक्रम सुझाया गया है जिसमें पुराने सेमेस्टर प्रारूप की कई बातों पर वापस लौटना और ऐसे वर्तमान कोर्स को सीमित करना शामिल हैं जो एफवाइयूपी ऑनर्स संकाय के अनुरूप नहीं हैं. प्रस्ताव में यह भी सुझाया गया है कि वर्तमान बीटेक कोर्स को छोड़ दिया जाना चाहिए, हालांकि कुछ फाउंडेशन कोर्स की संख्या को कम किया जा सकता है. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि विवि चौथे वर्ष की पढ़ाई की पेशकश कर रहा है और ऐसा शोध पाठय़क्रम के जरिये ऑनर्स की डिग्री प्रदान की बात कर रहे हैं.
यूजीसी की बैठक टली
इस बीच दिल्ली विवि द्वारा भेजे गये प्रस्ताव पर विचार के लिए यूजीसी की होनेवाली बैठक टल गयी है. बैठक किस कारण से टाली गयी है, अभी इस बारे में सूचना नहीं मिली है.
विरोध प्रदर्शन जारी
चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाइयूपी) पर जारी गतिरोध खत्म करने के लिए राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग करते हुए केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन से राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे छात्रों के एक समूह को हिरासत में ले लिया गया. ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन से जुड़े प्रदर्शनकारियों को दिन में करीब साढ़े ग्यारह बजे मेट्रो स्टेशन के बाहर हिरासत में लिया गया और दिल्ली पुलिस के जवान उन्हें एक बस से संसद मार्ग पुलिस थाना ले गये. पुलिस ने कहा कि इलाके में निषेधाज्ञा लागू होने के कारण मार्च की अनुमति नहीं दी जा सकती. प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने से रोकने के लिए राजपथ के इर्द-गिर्द बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.