नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका गुरुवार को खारिज कर दी.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के मामले में पिछले साल अक्तूबर में प्राथमिकी दर्ज की थी जिसे रद्द करने से दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को इनकार कर दिया था. उच्च न्यायालय ने जांच ब्यूरो को इस मामले की जांच पूरी करने के लिए 10 सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की थी. इस बीच सरकार ने 18 जनवरी को अस्थाना को बीसीएएस का महानिदेशक नियुक्त किया था. मनोहर लाल शर्मा ने इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए दायर याचिका में दलील दी थी कि यह कानून के प्रावधानों के विपरीत है और अस्थाना के खिलाफ जांच लंबित होने की वजह से उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए.
याचिका में कहा गया है कि सीसीए नियम-1965 के अनुरूप राकेश अस्थाना को निलंबित करने की बजाय उन्हें नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो का मुखिया बना दिया गया है. गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की सीबीआई में अपने पूर्व मुखिया आलोक कुमार वर्मा के साथ कई महीनों से तकरार चल रही थी और दोनों शीर्ष अधिकारियों ने एक-दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे. याचिका में सीबीआई मुखिया की सेवाएं समाप्त करने के बारे में उचित दिशा-निर्देश तैयार करने का भी अनुरोध किया गया था.