22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तीन तलाक विधेयक के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने की पेशबंदी की अपील

लखनऊ : तीन तलाक रोधी विधेयक पर संसद में गुरुवार को चर्चा से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी पेशबंदी शुरू कर दी है. उसके नुमाइंदों ने विभिन्न राजनीतिक दलों से मुलाकात करके संसद में इस विधेयक का समर्थन नहीं करने की अपील की है. बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने […]

लखनऊ : तीन तलाक रोधी विधेयक पर संसद में गुरुवार को चर्चा से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी पेशबंदी शुरू कर दी है. उसके नुमाइंदों ने विभिन्न राजनीतिक दलों से मुलाकात करके संसद में इस विधेयक का समर्थन नहीं करने की अपील की है. बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बुधवार को बताया कि तीन तलाक रोधी विधेयक को मुस्लिम समुदाय से विचार-विमर्श किये बगैर तैयार किया गया है. लिहाजा, इसमें कई गम्भीर खामियां हैं. इसे मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता.

इसे भी पढ़ें : ‘ट्रिपल तलाक’ बिल पास नहीं होने के लिए कांग्रेस और राहुल गांधी जिम्मेदार : भाजपा

उन्होंने कहा कि पूरे मुस्लिम समुदाय पर बुरा असर डालने वाले इस विधेयक को पारित नहीं होने देने के लिए बोर्ड अपनी कोशिशें जारी रखे हुए है. इस सिलसिले में विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधियों से बातचीत हो रही है. संसद कानून बनाती है. कोई गलत कानून नहीं बने लिहाजा संसद सदस्यों को उससे वाकिफ कराना हिंदुस्तान के हरेक शहरी की जिम्मेदारी है.

मौलाना रहमानी ने कहा कि बोर्ड के प्रतिनिधियों की कई पार्टियों के नेताओं से मुलाकात हो चुकी है. आज कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात हो गयी है. हम संजीदा कोशिशों को छोड़ नहीं सकते. हमारी दलीलों पर पार्टियों का रुख सकारात्मक है. इस बीच, बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने बताया कि बोर्ड ने पहले भी यह रुख अपनाया था. हम अब भी सांसदों को इस विधेयक की खामियों और उसके दुष्प्रभावों के बारे में बता रहे हैं, ताकि इसे पारित होने से रोका जा सके.

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत जहां-जहां धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के नेता हैं, वहां-वहां बोर्ड के प्रतिनिधिमंडलों ने उनसे मुलाकात करके अपना पक्ष रखा है. वैसे, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही यह साफ कर चुका है कि अगर तीन तलाक रोधी विधेयक को कानून की शक्ल दी गयी, तो वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की पिछले 16 दिसम्बर को लखनऊ में हुई बैठक में यह फैसला किया गया था. बोर्ड ने यह भी कहा था कि अगर अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भी सरकार कोई अध्यादेश या कानून लाती है, तो उसे भी अदालत में चुनौती दी जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें