अहमदाबाद : साल 2018 अपने अंतिम पड़ाव पर है. कुछ ही दिनों के बाद हम नये साल में प्रवेश कर जायेंगे और पुरानी यादों के साथ नये काम में लग जायेंगे. इस बीच हम कुछ पुरानी यादें आपसे साझा कर लें. यहां हम आपको गुजरात में इस साल हुए घटनाक्रम के बारे में बताने जा रहे हैं. सूबे में 2018 में सुर्खियों में रहने वाली प्रमुख घटनाओं में देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण, गिर अभयारण्य में कई शेरों की मौत और हिंदी भाषी राज्यों के श्रमिकों के खिलाफ हिंसा शामिल रहीं.
सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर को गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में किया था. इसे विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बताया जा रहा है. प्रतिमा देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. गत सितम्बर में वन्यजीव प्रेमी तब हैरान रह गये जब गुजरात के गिर अभयारण्य में करीब 30 शेरों की कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से प्रभावित होने के बाद मौत हो गयी. 30 और शेरों को इस खतरनाक वायरस के लिए निगरानी में रखा गया है. इस वायरस के चलते 1994 में अफ्रीका के सेरेंगती जंगल में शेरों की 30 प्रतिशत संख्या समाप्त हो गयी थी. 2015 की गणना के अनुसार, गुजरात में 523 शेर थे जिन्हें देखने के लिए पर्यटक वन्यजीव प्रेमी राज्य में खिंचे चले आते हैं.
राज्य सरकार अब कुछ शेरों को पोरबंदर के बरडा डूंगर जंगल क्षेत्र में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है. राज्य सरकार ने हालांकि इन शेरों को पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया है. सरकार इसके साथ ही अहमदाबाद के पास एक शेर सफारी बनाने की योजना बना रही है ताकि कोई महामारी फैलने की स्थिति में शेरों को बचाया जा सके. इसके अलावा राज्य गत अक्टूबर में उत्तर प्रदेश और बिहार के श्रमिकों पर हमले की छिटपुट घटनाओं को लेकर खबरों में था. इन लोगों पर हमले की घटनाएं बिहार के एक व्यक्ति द्वारा 14 महीने की लड़की से कथित रूप से बलात्कार के बाद हुई थीं. हिंसा के चलते 75 हजार से अधिक श्रमिक राज्य छोड़कर चले गये थे. उसके बाद राज्य सरकार ने श्रमिकों से वापस लौटने की अपील की और उन्हें राज्य में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का भरोसा दिया। राज्य में करणी सेना द्वारा हिंसक प्रदर्शन भी सामने आये.
इसके सदस्यों ने गत जनवरी में हिंदी फिल्म ‘‘पद्मावत’ की रिलीज के खिलाफ थिएटरों में तोड़फोड़ की. उक्त फिल्म 13वीं सदी की उस ऐतिहासिक लड़ाई पर आधारित थी जो कि महाराजा रतन सिंह के मेवाड़ की सेना और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच हुई थी. प्रदर्शन करीब एक सप्ताह तक चले और यह राज्य में थिएटर एवं मल्टीप्लेक्स मालिकों द्वारा फिल्म का प्रदर्शन नहीं करने के निर्णय के बाद शांत हुआ. 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद इस वर्ष कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम नहीं हुआ. यद्यपि कोली समुदाय के प्रमुख नेता कुंवरजी बावलिया तब सुर्खियों में रहे जब वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये. जसदण से वर्तमान विधायक ने राज्य विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया. तब इससे सीट के लिए उपचुनाव जरूरी हो गया.
बावलिया को भाजपा में शामिल होने के बाद राज्य की विजय रूपाणी नीत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया और उन्हें 20 दिसम्बर को जसदण सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अवसर नाकिया के खिलाफ उम्मीदवार भी बनाया गया। जनवरी में कांग्रेस ने पटेल समुदाय के युवा नेता परेश धनानी को विपक्ष के नेता जबकि एक अन्य युवा ओबीसी नेता अमित चावडा को गुजरात प्रदेश कांगेस कमेटी प्रमुख बनाया गया. हार्दिक पटेल अगस्त में पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गये. यद्यपि सरकार के नहीं झुकने पर उन्होंने अपना अनशन 19 दिन बाद समाप्त कर दिया. एक अन्य घटनाक्रम में हजारों किसान मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय पहुंच गये. मामले की सुनवायी चल रही है. एक अन्य प्रमुख आदेश में उच्च न्यायालय ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी को 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में बरी कर दिया. उन्हें पहले एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गई थी.
गुजरात के पूर्व प्रभारी डीजीपी पी पी पांडेय को एक विशेष सीबीआई अदालत ने इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सबूत की कमी के चलते आरोपमुक्त कर दिया. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू गत जनवरी में गुजरात पहुंचे. उन्होंने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य रोडशो किया, पतंग उड़ाई, एकदूसरे की प्रशंसा की और एक दूसरे को गले लगाया जो कि दोनों देशों के बीच मजबूत होते संबंधों को एक प्रतीक था. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू भी फरवरी में एक दिन की यात्रा पर गुजरात पहुंचे। वह इस दौरान स्वामी नारायण मंदिर गये और आईआईएम अहमदाबाद में व्याख्यान दिया.
गत नवम्बर में भारत के ‘‘मिल्कमैन’ के नाम से जाने जाने वाले डा. वर्गीज कुरियन की बेटी ने गुजरात के पूर्व मंत्री दिलीप संघानी के इस दावे को खारिज कर दिया कि कुरियन ने डेयरी कोआपरेटिव अमूल के लाभ से प्राप्त राशि देश में धार्मिक धर्मांतरण में लगायी थी.