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थर्ड जेंडर के अधिकारों के संरक्षण विधेयक पर चर्चा, जानें कौन से मिलेंगे अधिकार

नयी दिल्ली : लोकसभा में सोमवार को उभयलिंगी व्यक्ति अधिकारों का संरक्षण विधेयक विचार एवं पारित करने के लिये पेश किया गया जिसमें उभयलिंगी व्यक्ति को परिभाषित करने, उनके खिलाफ्र विभेद का निषेध करने एवं उनके लिंग पहचान का अधिकार प्रदान करने का प्रावधान किया गया है . सदन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री […]

नयी दिल्ली : लोकसभा में सोमवार को उभयलिंगी व्यक्ति अधिकारों का संरक्षण विधेयक विचार एवं पारित करने के लिये पेश किया गया जिसमें उभयलिंगी व्यक्ति को परिभाषित करने, उनके खिलाफ्र विभेद का निषेध करने एवं उनके लिंग पहचान का अधिकार प्रदान करने का प्रावधान किया गया है .

सदन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के हितों का खास ध्यान रखा गया है और यह अपने आप में परिपूर्ण है . इसलिये इसे तत्काल पारित किया जाना चाहिए . उन्होंने इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के फैसले एवं राज्यसभा में तिरूचि शिवा की ओर से पेश निजी विधेयक के पारित होने का जिक्र किया . उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बारे में स्थायी समिति के 27 सुझावों को स्वीकार किया है जो संशोधन के रूप में आयेगी .
विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने इस विधेयक के संदर्भ में 21 संशोधन पेश किये हैं ताकि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को पूरा अधिकार मिल सके और न्याय सुनिश्चित किया जा सके . उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों में डर का माहौल पैदा करने का काम किया गया. इस समुदाय के लोगों को मानसिक एवं यौन प्रताड़ना का सामना करना पड़ा .
नौकरियों में भी उनके साथ भेदभाव की स्थिति रही . थरूर ने कहा कि ऐसी स्थिति में विधेयक को ठोस और पूर्ण बनाये जाने की जरूरत है ताकि उनके हितों की रक्षा की जा सके . उन्होंने कहा कि इसमें कुछ त्रुटियां है, परिभाषा स्पष्ट नहीं है . विधेयक में परिषद के गठन की बात कही गई है लेकिन इसमें ट्रांसजेंडर समुदाय का उचित प्रतिनिधित्व नहीं है .
ऐसे में इस विधेयक को वापस लेकर ठोस प्रावधानों सहित नया विधेयक लाया जाए . बीजद के भतृहरि माहताब ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ट्रांसजेंडर समुदाय को कानूनी मान्यता देने की बात कही . इस फैसले के आलोक में यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय की पहचान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस बारे में अगर उन्हें प्रमाणपत्र नहीं मिलता है तब उन्हें संबंधित सुविधाएं नहीं मिलेंगी . उनके अपील करने के संबंध में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है.
इस बारे में सरकार 27 संशोधन ला रही है तो दूसरे सदस्यों के संशोधनों को शामिल कर ठोस विधेयक लाया जाए . राकांपा की सुप्रिया सुले ने कहा कि हमें ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की भावना एवं संवेदनाओं का ध्यान रखने की जरूरत है और इस बारे में स्कूल स्तर से ही जागरूकता फैलाने की जरूरत है . उन्होंने कहा कि समुदाय के लोगों के अधिकारों के संरक्षण के साथ हर राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिये परिषद का गठन किया जाना चाहिए .
इस समुदाय के लोगों के लिये एक हेल्पलाइन होना चाहिए, साथ ही पृथक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए . तृणमूल कांग्रेस की कोकोली घोष दस्तेदार ने कहा कि इस विधेयक में कई त्रुटियां है और ऐसा लगता है कि इसे जल्दबाजी में तैयार किया गया है . उन्होंने कहा कि इस में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए . उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों के प्रमाणन के संबंध में एक विशेष बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए . सदन में विभिन्न दलों के सदस्यों के अलग अलग मुद्दे पर हंगामे के दौरान सदन में इस विधेयक पर चर्चा हुई . चर्चा के दौरान हंगामे के चलते कार्रवाई को एक बार करीब 20 मिनट के लिये स्थगित करनी पड़ी . हालांकि स्थगन के बाद विधेयक पर चर्चा फिर शुरू हो गयी.

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