उज्जैन से मिथिलेश
महाकाल का आसन है-मध्य प्रदेश का शासन है और तो और हमारे पास पहले से ही शिवराज हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यराज के यह बोल कांग्रेस के लिए उज्जैन में चुनावी मुद्दा बन गया है. कांग्रेस कह रही है कि हार देख अब भाजपा भगवान महाकाल का नाम ले रही है.
‘राजा विक्रमादित्य’ और ‘कालीदास’ की इस उज्जैन नगरी में बेरोजगारी बढ़ने और युवाओं के पलायन के लिए कांग्रेस के नेता भाजपा को दोषी मानते हैं.
भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पीछे नहीं रहे हैं. उज्जैन की प्रतिष्ठा को भाजपा किसी हाल में गंवाना नहीं चाहती. शायद यही कारण है कि प्रचार खत्म होने के एक दिन पहले भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में चुनावी सभाएं कीं. भाजपा के लिए यहां प्रतिष्ठा की लड़ाई है.
पीएम मोदी, शाह और राहुल ने यहीं से की थी प्रचार की शुरुआत
नागदा-खाचरोद में अच्छी संख्या में हैं बिहार-झारखंड के लोग
पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर बसे उज्जैन से भाजपा को बड़ी उम्मीदें हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में उज्जैन की सभी सात सीटों पर भाजपा विजयी हुई थी.
लेकिन, इस बार उसकी तीन सीटों पर कांग्रेस से कांटे की टक्कर है. उज्जैन संभाग भी है, यानी प्रमंडल का दर्जा इसे हासिल है. इस प्रमंडल में तीन जिले हैं, उज्जैन, शाजापुर और आगर. तीनों जिले में विधानसभा की कुल 12 सीटें हैं. उज्जैन जिले की नागदा-खाचरोद विधानसभा क्षेत्र में अच्छी तादाद में बिहार और झारखंड के लोग हैं.
बागी नेता बिगाड़ सकते हैं कांग्रेस का खेल
उज्जैन शहर में कांग्रेस को अपना खाता खुलता तो दिख रहा है, पर बागियों के दमखम से आत्मविश्वास भी डिग रहा है. उज्जैन उत्तर और दक्षिण दोनों सीटो पर कांग्रेस के बागी उम्मीदवार ताल ठोक कर चुनाव मैदान में डटे हैं. उज्जैन उत्तर की सीट पर माया त्रिवेदी निर्दलीय उम्मीदवार हैं.
कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज माया निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में कूद पड़ी हैं. इसी तरह उज्जैन दक्षिण की सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जय सिंह दरबार ने कांग्रेस की नींद उड़ा रखी है. यहां भाजपा ने मोहन यादव को प्रत्याशी बनाया है. उत्तर की सीट पर शिवराज सरकार के मंत्री पारस जैन उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने यहां छात्र नेता रहे राजेंद्र भारतीय को मैदान में उतारा है.

