रैंगिग पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग हुआ सख्त
नयी दिल्ली : रैगिंग रोकने के लिए एक ओर शिक्षण संस्थान लकीर पीटते रहते हैं, वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और सख्त हो रहा है. अभिभावकों से अब गारंटी ली जायेगी कि उनका बेटा या बेटी रैगिंग नहीं करेंगे.
घर पर भी प्रेरित किया जायेगा कि रैगिंग से दूर ही रहना है. रैगिंग करने पर छात्र का एडमिशन कैंसिल कर दिया जायेगा, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी. यूजीसी ने आगामी शैक्षिक सत्र के पहले रैगिंग के प्रति अपनी गंभीरता को स्पष्ट कर दिया है. इसके लिए पहले से बने रेगुलेशंस में बदलाव भी कर दिया है. अब उच्च शैक्षिक संस्थानों में रैगिंग के जोखिम के निराकरण (द्वितीय संशोधन) विनियम 2013 प्रभावी कर दिया गया है. इसमें छात्रों से तो शपथ पत्र लिया ही जायेगा कि रैगिंग से दूर रहना है साथ ही अभिभावकों से भी शपथ-पत्र लिया जायेगा कि उनका बेटा-बेटी रैगिंग नहीं करेंगे.अभी तक रैगिंग होने पर अभिभावक ही अपने बच्चों के पक्ष में खड़े हो जाते थे और कार्रवाई का विरोध करने लगते थे.
उधर, विवि व कॉलेजों में पहले से ही रैगिंग रोकने केके लिए होर्डिग, पोस्टर व अभियानों का भी सहारा लिया जाता है. अभिभावक संस्थान को बतायेंगे कि वह रैगिंग के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. यह भी भरोसा दिलायेंग कि उनकी संतान किसी तरह के कृत्य में शामिल नहीं होगी. यदि संलिप्तता होती है तो एडमिशन कैंसिल कर दिया जायेगा. यदि पहले भी संतान पर रैगिंग के आरोप में कार्रवाई हो चुकी है तो भी एडमिशन कैंसिल माना जायेगा. अभिभावक भी अब रैगिंग की घटना के प्रति जिम्मेदार होंगे, इससे छात्रों पर दबाव बढ़ेगा.
ऐसा होगा शपथ पत्र
रैगिंग के जोखिम पर नियंत्रण लगाने से संबंधित विनियम को ध्यानपूर्वक पढ़ लिया है. इस बात की जानकारी है कि रैगिंग में क्या बात शामिल हैं. रैगिंग में किसी भी तरह से बेटे-बेटी की संलिप्तता में उसके विरुद्ध कार्रवाई स्वीकार होगी. हमारी संतान किसी ऐसे व्यवहार या कृत्य में शामिल नहीं होगी, जिसे नियमों की धारा तीन के अंतर्गत रैगिंग माना गया है.