नयी दिल्ली : महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार एक वकील की पत्नी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके माओवादियों से संदिग्ध संबंधों पर महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार वामपंथी कार्यकर्ताओं की हाल में गिरफ्तारी के खिलाफ प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिका में हस्तक्षेप की मांग की. यह याचिका वकील सुरेंद्र गाडलिंग की पत्नी मिनाल गाडलिंग ने दायर की.
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भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में वकील सुरेंद्र के अलावा नागपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग प्रमुख शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवाले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल के निवासी रोना विल्सन को छह जून को गिरफ्तार किया गया था. पुणे पुलिस ने गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत माओवादियों से कथित रूप से करीबी संबंध रखने पर उन्हें गिरफ्तार किया था. जनवरी में इस कानून के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और मार्च में इसमें साजिश के आरोप जोड़े गये थे.
मिनाल ने अपनी याचिका में दावा किया कि उनके पति सहित गिरफ्तार पांच लोगों को इस मामले में झूठा और द्वेषपूर्ण तरीके से फंसाया गया, जबकि उनकी इस मामले में कोई संलिप्तता नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति को जेल के अंदर प्रताड़ित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को आदेश दिया था कि हिंसा के इस मामले में गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक नजरबंद रखा जाये.