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तलाक के खिलाफ अपील पेंडिंग हो तो दूसरी शादी अमान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति अपने तलाक पर अदालती फैसले के खिलाफ दायर की गई अपील लंबित होने के दौरान दूसरी शादी कर लेता है तो उसकी शादी उन मामलों में निष्प्रभावी नहीं होगी जिनमें दोनों पक्षों ने अपील पर आगे कदम नहीं बढ़ाने का फैसला किया हो. […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति अपने तलाक पर अदालती फैसले के खिलाफ दायर की गई अपील लंबित होने के दौरान दूसरी शादी कर लेता है तो उसकी शादी उन मामलों में निष्प्रभावी नहीं होगी जिनमें दोनों पक्षों ने अपील पर आगे कदम नहीं बढ़ाने का फैसला किया हो. न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे़ और न्यायमूर्ति एल.एन. राव की पीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 15, जिसमें तलाकशुदा लोगों की शादी से जुड़े प्रावधान हैं, की व्याख्या करते हुए कहा कि अपील खारिज होने तक दूसरी शादी पर लगाई गई बंदिश उन मामलों में लागू नहीं होगी जिनमें दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया हो और अपील पर आगे कदम नहीं बढ़ाने का फैसला किया हो.

पीठ ने कहा, ‘….हमारी राय है कि अपील खारिज होने तक कानून की धारा 15 में दूसरी शादी पर लगाई गई बंदिश ऐसे मामले में लागू नहीं होगी जिसमें दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया हो और अपील पर आगे कदम नहीं बढ़ाने का फैसला किया हो.’ इस कानून की धारा 15 कहती है कि किसी शादी के टूटने के बाद दोनों पक्षों के लिए फिर से शादी करना कानूनी रूप से उचित है बशर्ते तलाक के अदालती आदेश के खिलाफ अपील का कोई अधिकार नहीं हो.

इसमें यह भी कहा गया है कि दोनों पक्षों की ओर से दूसरी शादी तभी कानूनी मानी जाएगी जब तलाक के अदालती आदेश के खिलाफ अपील निरस्त हो चुकी हो. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के अगस्त 2016 के फैसले को दरकिनार करते हुए यह आदेश पारित किया. उच्च न्यायालय ने तलाक के खिलाफ एक व्यक्ति की ओर से दायर अपील लंबित रहने के दौरान हुई उसकी दूसरी को अमान्य घोषित कर दिया था.

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