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सोनिया-बुखारी मुलाकात के कारण हुई कांग्रेस की दुर्गति: असरारुल हक

नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर लगातार हमले जारी हैं. अब तक ये हमले पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की भूमिका को लेकर थे, लेकिन पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी पार्टी के अंदर विरोध के सुर उभरने लगे हैं. बिहार के किशनगंज […]

नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर लगातार हमले जारी हैं. अब तक ये हमले पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की भूमिका को लेकर थे, लेकिन पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी पार्टी के अंदर विरोध के सुर उभरने लगे हैं. बिहार के किशनगंज से पार्टी सांसद मौलाना असरारु ल हक ने सोनिया गांधी के जामा मसजिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी से मिलने को पार्टी की हार का एक बड़ा कारण बताया है. हक का मानना है कि सोनिया गांधी को ऐसा नहीं करना चाहिए था. हालांकि बाद में हक ने कहा कि मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है.

ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और सांसद हक ने अंगरेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा, सोनिया गांधी को चुनाव से पहले शाही इमाम से नहीं मिलना चाहिए था. इसका मतदाताओं तक गलत संदेश गया. बकौल हक, अगर आप (बुखारी) कोई अपील जारी करना चाहते थे, तो सबके लिए करते. एक खास वर्ग के लिए नहीं करते. शाही इमाम से मिलने की कोशिश हमारे खिलाफ गयी.

याद रहे कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान अप्रैल में शाही इमाम बुखारी से मुलाकात की थी. बुखारी ने इस मुलाकात के बाद कहा था कि सोनिया ने उनसे कहा है कि सेक्युलर वोट बंटने न पाये. भाजपा ने सोनिया-बुखारी की मुलाकात को चुनावी मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस पर जम कर हमला किया था.

* मौलाना ने दी सफाई

इस बीच मौलाना असरारु ल हक ने सफाई दी है कि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. एक अखबार के रिपोर्टर ने पूछा था कि बुखारी से मुलाकात सही थी या गलत, तो मैंने कहा कि यह लीडरशिर तय करती है. अपील तो बहुत से लोगों ने की, लेकिन इतनी गहराई में जा कर थोड़े ही पता चलेगा कि किसी का फायदा हुआ या नुकसान. अब बुखारी की अपील का फायदा हुआ कि नुकसान हम क्या कह सकते हैं. हम तो सोनिया को ही नेता मानते हैं.

* काम करेंगे, तो जीतेंगे

मौलाना हक ने इस बातचीत में माना कि लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी विकास के नाम पर युवाओं के वोट झटकने में सफल रहे. चीजें अब बदल गयी हैं. अगर आप काम करेंगे, तो जीतेंगे. यदि काम नहीं करेंगे, तो हारेंगे. कांग्रेस को भी सेक्युलिरज्म के बजाय विकास पर चुनाव लड़ना चाहिए था.

* 370 नहीं हटने देंगे

हक ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी मोदी के साथ सहयोग करने को तैयार है. बशर्ते वह विकास को तेज करें, लेकिन वे किसी भी हालत में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने नहीं देंगे. चेतावनी दी कि अगर अनुच्छेद 370 हटाने या समान आचार संहिता लागू करने की कोशिश की गयी तो यह देश बंट जायेगा. हम मौलिक अधिकारों को बदलने नहीं देंगे. नरेंद्र मोदी को भी व्यवस्था के तहत ही चलना होगा.

* दिग्विजय ने भी मिलाया सुर

इस बीच पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी मौलाना इमाम बुखारी को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा इमाम बुखारी को सांप्रदायिक विचारधारा का व्यक्ति माना है.

* पहले भी उठे हैं सवाल

हक से पहले भी कई अन्य कांग्रेसी नेता नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं. सबसे पहले मिलिंद देवड़ा ने नेतृत्व पर सीधा हमला करते हुए कहा था कि राहुल गांधी के सलाहकारों ने पार्टी नेतृत्व को मुगालते में रखा, जिसकी वजह से हम चुनाव हार गये. इस बयान का सत्यव्रत चतुर्वेदी और शशि थरूर ने समर्थन किया था. केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री टीएच मुस्तफा और राजस्थान के विधायक भंवर लाल ने पार्टी की हार के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें जोकर और जोकरों का एमडी कह डाला था.

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