नयी दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने कहा कि तबादला और तैनाती के उसके निर्देशों का पालन करने से जिन अधिकारियों ने इनकार किया है, उनके खिलाफ वह शीर्ष न्यायालय में एक अवमानना याचिका दायर कर सकती है.
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच शक्तियों के बंटवारे पर उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला आने के एक दिन बाद केजरीवाल नीत आप सरकार ने यह कहा है.
दरअसल, शीर्ष न्यायालय के फैसले के कुछ ही घंटों बाद बुधवार को दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादले और तैनाती के लिए एक नयी प्रणाली पेश की तथा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इन्हें मंजूरी प्रदान करने का अधिकार सौंपा.
हालांकि, सेवा विभाग ने यह कहते हुए आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया कि उच्चतम न्यायालय ने 2016 में जारी उस अधिसूचना को समाप्त नहीं किया है, जिसमें तबादलों और तैनातियों का अधिकार गृह मंत्रालय को दिया गया था. सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सरकार कानूनी विकल्प तलाश रही है और इस विषय पर उसके द्वारा उच्चतम न्यायालय में एक अवमानना याचिका दायर करने की संभावना है.
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अधिकारियों तथा केंद्र से शीर्ष न्यायालय के फैसले का पालन करने की अपील की है. केजरीवाल ने सभी हितधारकों से अनुरोध किया कि वे उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच शक्तियों के बंटवारे पर उच्चतम न्यायालय का आदेश लागू करें और शहर के विकास के लिए काम करें.
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और एलजी की शक्तियों को स्पष्ट कर दिया है. मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस, कानून व्यवस्था और भूमि एलजी के नियंत्रण में है जबकि अन्य विषयों पर दिल्ली सरकार के पास कार्यकारी शक्तियां हैं.
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उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने ट्विटर कर कहा, ‘मैं सभी हितधारकों से अपील करना चाहता हूं कि वे आदेश लागू करें और दिल्ली के विकास के लिए काम करें. माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने में उनका सहयोग और समर्थन मांगने के लिए तथा दिल्ली के विकास की खातिर एलजी से मिलने का समय मांगा गया है.
सिसोदिया ने कहा, मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखकर कहा है कि सेवा विभाग आदेशों का पालन नहीं करेगा. उन्होंने पत्रकारों से कहा, अगर वे इसका पालन नहीं कर रहे हैं और तबादले की फाइलें अब भी उपराज्यपाल देखेंगे, तो यह संविधान पीठ की आवमानना के जैसा होगा.
उन्होंने कहा, हम अपने वकीलों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं कि इस स्थिति में क्या किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उपराज्यपाल केवल तीन विषयों में हस्तक्षेप कर सकते हैं, जिनमें सेवा विभाग शामिल नहीं हैं.
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सिसोदिया ने कहा, मैं अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र से अपील करता हूं कि वे उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करें. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र रूप से फैसले करने की शक्तियां नहीं हैं और उन्हें निर्वाचित सरकार की सलाह से काम करना होगा.