नयी दिल्ली :आज केंद्र और विधि आयोग से जवाब मांगा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस दलील को स्वीकार किया कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने2017 के अपने फैसले में तीन- तलाक को खत्म करते हुए बहुविवाह और निकाह हलाला के मामलों को इसके दायरे से बाहर रखा था. पीठ ने आज कहा कि पांच सदस्यों वाली नयी संविधान पीठ का गठन किया जाएगा जो बहुविवाह और निकाह हलाला के मामले पर गौर करेगी.
बहुविवाह जहां मुस्लिम पुरूषों को एक समय में एक से ज्यादा महिलाओं से विवाह करने की अनुमति देता है. वहीं निकाह हलाला ऐसी प्रथा है जिसमें पति द्वारा तलाक दिये जाने पर यदि दोनों फिर से निकाह करना चाहते हैं तो तलाक देने वाले पति से दुबारा शादी करने से पहले मुस्लिम पत्नी को किसी अन्य व्यक्ति से विवाह करके उससे तलाक लेना होता है. पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से अपने फैसले में तीन- तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. शीर्ष अदालत इन प्रथाओं को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इनमें समता के अधिकार का हनन और लैंगिक न्याय सहित अनेक मुद्दे उठाये गये हैं.