आज का दिन भारतीय न्यायापालिका के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जज मीडिया के सामने आये हैं और उन्होंने जीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार जज में शामिल हैं जस्टिस चेलामेश्वर,जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर […]
आज का दिन भारतीय न्यायापालिका के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जज मीडिया के सामने आये हैं और उन्होंने जीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार जज में शामिल हैं जस्टिस चेलामेश्वर,जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इन्होंने कहा कि हमने जीफ जस्टिस को समझाने की कोशिश की, लेकिन हम सफल नहीं हो पाये और मजबूर होकर हमने मीडिया के सामने आने का फैसला किया. जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, हमपर देश का जो कर्ज है, उसके निर्वहन के लिए हम यहां आये हैं. जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा निष्पक्ष न्यायपालिका के बिना लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता.
क्या अधिकारों की जंग, मीडिया तक पहुंची
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पिछले कुछ समय से जीफ जस्टिस और कुछ जजों के बीच विवाद चल रहा था. यह विवाद तब शुरू हुआ जब न्यायिक पदों की उम्मीदवारी को अदालत ने खारिज कर दिया था और खारिज करने के कारणों को सार्वजनिक कर दिया था. जिसके बाद जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन लोकुर ने जीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था.
इनका कहना था कि उम्मीदवारों का चयन न करने के कारणों का खुलासा उनके मानवाधिकार, गोपनीयता और गरिमा का उल्लंघन कर सकता है. अक्तूबर माह में सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने एक आदेश पारित किया कि न्यायिक पदों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए नियुक्ति खारिज करने के कारणों को उजागर किया जाये. इस आदेश से उन लोगों को काफी शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा जो प्रमोशन नहीं पा सके थे. मीडिया के सामने आये जज का कहना है कि पारदर्शिता से किसी को इनकार नहीं है, लेकिन गोपनीयता और पारदर्शिता के बीच संतुलन जरूरी है.
ऐसी जानकारी भी मिली है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से यह चारों जज इसलिए भी नाखुश हैं, क्योंकि कुछ केसों की सुनवाई को लेकर भी इनके बीच अधिकारों की जंग चल रही थी. आरोप है कि जीफ जस्टिस ने इन जजों के पास से कुछ केस अपने पास ट्रांसफर करा लिये थे.