नयी दिल्ली : केंद्रीय विद्यालयों के सभी छात्रों के लिए कथित रूप से हिंदू धर्म पर आधारित प्रार्थना अनिवार्य करने के खिलाफ दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सरकार से जवाब मांगा.
न्यामयूर्ति आरएफ नरिमन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने मध्य प्रदेश निवासी विनायक शाह की याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया है कि देश भर में सभी केंद्रीय विद्यालयों में प्रात:कालीन सभा मे प्रार्थना लागू की जा रही है. याचिका के अनुसार प्रार्थना की प्रथा छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में बाधा पैदा कर रही है क्योंकि ईश्वर और धार्मिक आस्था को बहुत ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है और छात्रों के सोचने समझने की प्रक्रिया में इसे उनके मन में बैठाया जा रहा है.
याचिका में कहा गया है कि इसके परिणाम स्वरूप रोजर्मा की जिंदगी में आनेवाली बाधाओं के प्रति व्यावहारिक नतीजे विकसित करने की बजाय वे राहत के लिए ईश्वर की ओर मुखातिब होते हैं. याचिका के अनुसार चूंकि यह प्रार्थना लागू की जा रही है, इसलिए अल्पसंख्यक समुदायों और नास्तिक वर्ग के बच्चों और उनके अभिभावक इसे लागू करने को सांविधानिक दृष्टि से अनुचित पाते हैं. शाह ने यह भी तर्क दिया है कि सभी के लिए एक प्रार्थना संविधान के अनुच्छेद 28 के अंतर्गत धार्मिक निर्देश है और इसलिए इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.