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तमिलनाडु में फिल्मी सितारों का राजनीति पर बरसों से रहा है दबदबा

चेन्नई : शीर्ष फिल्मी सितारों का अपना राजनैतिक दल बनाना तमिलनाडु के लिए कुछ नया नहीं है. इस राज्य पर दशकों से सिने जगत की हस्तियों ने राज किया है. 67 वर्षीय सुपरस्टार रजनीकांत प्रदेश की राजनीति में कूदने वाले नये सितारे हैं. उन्होंने तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी बनाने की […]

चेन्नई : शीर्ष फिल्मी सितारों का अपना राजनैतिक दल बनाना तमिलनाडु के लिए कुछ नया नहीं है. इस राज्य पर दशकों से सिने जगत की हस्तियों ने राज किया है. 67 वर्षीय सुपरस्टार रजनीकांत प्रदेश की राजनीति में कूदने वाले नये सितारे हैं. उन्होंने तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी बनाने की रविवार को घोषणा की.

इसे भी पढ़ेंः एमजीआर रहे राजनीतिक गुरु: एमजीआर के शव के पास 21 घंटे खड़ी थीं जयललिता, पीटा भी गया

करिश्माई अभिनेता एम जी रामचंद्रन तमिलनाडु में पहले सितारे थे, जो अन्नाद्रमुक बनाकर 1970 के दशक में राज्य की सत्ता में आये. उनके चिर प्रतिद्वंद्वी और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि का भी फिल्मी दुनिया से नाता रहा है. उन्होंने कई फिल्मों की पटकथाएं लिखीं.

अन्नादुरै के बाद करुणानिधि ने संभाली द्रमुक की कमान

करुणानिधि 1969 में द्रमुक संस्थापक सीएन अन्नादुरै की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी बने और राज्य के मुख्यमंत्री बने. अन्नादुरै ने इससे दो साल पहले कांग्रेस के खिलाफ अपनी पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलायी थी. रामचंद्रन, एमजीआर के नाम से लोकप्रिय थे. वह अपनी फिल्मों में गरीबों के मसीहा की भूमिका निभाते थे, जबकि रजनीकांत ने एक जोरदार शख्सियत के रूप में अपने फिल्मी कैरियर का आगाज किया और वह अपने स्टाइल और स्टंट के लिए प्रसिद्ध हैं. करणानिधि से मतभेद के बाद रामचंद्रन ने द्रमुक से अलग होकर अपनी पार्टी बनायी थी.

रामचंद्रन की विरासत को जयललिता ने संभाला

एमजीआर के संरक्षण में राजनीति के तौर-तरीके सीखने वाली जे जयललिता ने उनकी मृत्यु के बाद रामचंद्रन की विरासत को संभाला. जयललिता ने 1960 और 1970 के दशक में कई सुपर हिट फिल्मों में एमजीआर के साथ काम किया था. एमजीआर की मृत्यु के बाद अन्नाद्रमुक दो फाड़ हो गयी और फिर 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में दोनों धड़ों का विलय हो गया और जयललिता ने पार्टी की बागडोर संभाली. वह दिसंबर 2016 में मृत्यु होने तक अन्नाद्रमुक की सर्वोच्च नेता बनी रहीं. जयललिता तीन बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं. उन्होंने 2011 और 2016 में लगातार दो विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को सफलता दिलायी.

सिने हस्तियों का अपने प्रशंसकों में है जबरदस्त प्रभाव

सिनेस्टार से नेता बने इन हस्तियों का अपने प्रशंसकों पर जबरदस्त प्रभाव था. यह उनके प्रशंसकों के अपने नायकों को भगवान की तरह पूजने में झलकता है. इसी के सहारे उन्होंने चुनावी जीत भी हासिल की. हालांकि, कुछ सितारे राजनीति के मैदान में सफलता का स्वाद चखने में विफल रहे. एमजीआर के समसामयिक और अभिनेता शिवाजी गणेशन हालांकि कांग्रेस पार्टी में रहने के दौरान राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन 1988 में अपनी पार्टी बनाने के बाद सफलता पाने में विफल रहे. पार्टी गठित करने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में गणेशन की पार्टी बुरी तरह पराजित हुई. यहां तक कि तंजावुर जिले में अपनी सीट भी वह नहीं जीत सके.

अभिनेता विजयकांत ने भी 2006 में बनायी थी नयी पार्टी

लोकप्रिय अभिनेता विजयकांत ने भी 2006 के विधानसभा चुनाव से पहले डीएमडीके नाम की अपनी पार्टी बनायी. साल 2011 का विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी ने जयललिता की अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करके लड़ा. हालांकि, यह गठबंधन चुनाव जीतकर सत्ता में आया, लेकिन जब विजयकांत ने अपने गठबंधन की सरकार के फैसलों पर सवाल उठाने शुरू कर दिये, तो उनकी पार्टी को गठबंधन से अलग होना पड़ा. साल 2016 का विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी अकेले लड़ी, लेकिन उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. तमिलनाडु में फिल्मी सितारों की सफलता ने पड़ोसी आंध्र प्रदेश को भी प्रभावित किया. वहां अभिनेता रहे एनटी रामाराव ने तेलगू देशम पार्टी का गठन किया और उनकी पार्टी 1980 के दशक में राज्य की सत्ता में आयी.

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