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स्कूली छात्रों की सुरक्षा पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, केंद्र और राज्य सरकारों से मांगा जवाब

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने स्कूली छात्रों को यौन उत्पीड़न और हत्या जैसे अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने और उन पर अमल सुनिश्चित कराने के लिए दायर याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किये. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने स्कूली छात्रों को यौन उत्पीड़न और हत्या जैसे अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने और उन पर अमल सुनिश्चित कराने के लिए दायर याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किये. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने महिला वकील आभा आर शर्मा और संगीता भारती की याचिकाओं पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किये. इन सभी को तीन सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं. शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही इन वकीलों की याचिका को सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्न के पिता की याचिका के साथ संलग्न कर दिया. प्रद्युम्न की गुरुग्राम में रेयन इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी.

शीर्ष अदालत सोमवार को गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के नौ वर्षीय छात्र अरमान सहगल की मृत्यु को लेकर दायर उसके पिता की याचिका पर भी सुनवाई करेगा. इस याचिका में अरमान की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु की सीबीआइ से जांच कराने का अनुरोध किया गया है.

वकील सुजीता श्रीवास्तव के माध्यम से दायर जनहित याचिका में स्कूल की चाहरदीवारी के भीतर बार-बार छात्रों के शोषण और बाल यौन शोषण की हो रही घटनाओं का मुद्दा उठाया गया है. याचिका में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को स्कूलों के लिए बच्चों की सुरक्षा के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं होने देने को अधिसूचित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में स्कूलों में बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए दिल्ली आयोग सहित विभिन्न प्राधिकारियों के मौजूदा दिशा निर्देश उचित तरीके से लागू करने का अनुरोध किया गया है. दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए इसमें कहा गया है कि प्रत्येक स्कूल के लिए बाल संरक्षण नीति बनाना जरूरी है जो समझ में आनी चाहिए और सभी कर्मचारियों या नयी भर्तीवाले कर्मिकों को बतायी जानी चाहिए और उन पर उनके हस्ताक्षर होने चाहिए.

महिला वकीलों ने दिशा-निर्देशों के लिए कुछ सुझाव भी दिये हैं. उनका कहना है कि स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानों, तंबाकू और तंबाकू आधारित उत्पादन पान मसाला, सिगरेट और गुटखा आदि बेचनेवाली दुकानों की अनुमति नहीं होनी चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
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