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डोकलाम से अपने बुलडोजर भी ले गये चीनी सैनिक, भारतीय सेना भी पीछे हटी

नयी दिल्ली : दो महीने से भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर चल रहा गतिरोध आखिरकार खत्म हो ही गया.चीन की सेना अपने बुलडोजरों के साथ डोकलाम के विवादित इलाके से चली गयी है और उन तंबुओं को भी हटा दिया है जो उन्होंने वहां गाड़े थे. भारत सरकार के शीर्ष अधिकारी ने […]

नयी दिल्ली : दो महीने से भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर चल रहा गतिरोध आखिरकार खत्म हो ही गया.चीन की सेना अपने बुलडोजरों के साथ डोकलाम के विवादित इलाके से चली गयी है और उन तंबुओं को भी हटा दिया है जो उन्होंने वहां गाड़े थे. भारत सरकार के शीर्ष अधिकारी ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि विवादित इलाके में करीब 1700-1800 चीनी सैनिक थे और वे सभी वहां से चले गए हैं. इस विवादित इलाके में चीनी सैनिक सड़क बनाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने बताया कि भारतीय सैनिक, जिनकी संख्या ‘ ‘कुछ सौ ‘ ‘ में थी, भी विवादित इलाके से लौट गए हैं और अब उस क्षेत्र में किसी देश की सेना तैनात नहीं है.

यह विवाद जून में उस वक्त शुरु हुआ था जब भारतीय सैनिकों ने विवादित क्षेत्र में चीन की ओर से सडक बनाए जाने का विरोध किया था. अधिकारी ने कहा, ‘ ‘बुलडोजर ले जाए गए हैं, तंबुओं को हटा लिया गया है और उस (चीनी) झंडे को भी हटा लिया गया है जिसे उन्होंने वहां फहराया था. ‘ ‘ इससे पहले, सुबह में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन डोकलाम में गतिरोध की जगह से अपनी-अपनी सेना पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं.
पूरे विवाद को खत्म करने के लिए सरकार ने कई तरह के रणनीतिक दवाब बनाना शुरू कर दिया था. चीनी सरकार से बात करने के लिए भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल चीन पहुंचे. भारत ने चीन के 93 प्रोडक्ट पर एंटी डंपिंग ड्यूटी भी लगाई. आज आ रही खबरों के मुताबिक ओप्पो और वीवो कंपनियों के सौ से ज्यादा वर्कर चीन वापस लौट गये. सरकार ने चीन पर वाणिज्यिक दवाब बनाना शुरू किया. चीन समेत कई देशों की मोबाइल निर्माता कंपनियों को नोटिस जारी करके पूछा कि उनके मोबाइल से लोगों की निजी जानकारी तो चोरी नहीं हो रही है. भारत में आम जनता के बीच भी डोकलाम विवाद को लेकर चीनी समान बहिष्कार का माहौल बन रहा था.
शाम के वक्त विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सेना हटाने का काम लगभग पूरा हो चुका है, जो दिखाता है कि ढाई महीने से चला आ रहा गतिरोध खत्म हो गया है. एक अधिकारी ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि जुलाई में हैम्बर्ग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संक्षिप्त वार्ता के बाद मामले को सुलझाने की प्रक्रिया शुरु हुई.
उन्होंने बताया कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि – राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश सलाहकार यांग जाइची – संपर्क में थे. आगामी तीन से पांच सितंबर तक चीन के जियामिन शहर में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले गतिरोध सुलझाने में कामयाबी हासिल हुई है

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