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डोकलाम : भारत का दावा, खत्म हुआ गतिरोध, चीन ने कहा, हमने नहीं हटायी सेना

नयी दिल्ली/बीजिंग : भारत और चीन ने डोकलाम से अपने जवानों को करीब करीब पूरी तरह हटा लिया है. चीन में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन से एक सप्ताह पहले इसे बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग ले सकते हैं. विदेश मंत्रालय ने आज घोषणा की कि कूटनीतिक संवाद के […]

नयी दिल्ली/बीजिंग : भारत और चीन ने डोकलाम से अपने जवानों को करीब करीब पूरी तरह हटा लिया है. चीन में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन से एक सप्ताह पहले इसे बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग ले सकते हैं.

विदेश मंत्रालय ने आज घोषणा की कि कूटनीतिक संवाद के बाद दोनों देशों ने डोकलाम में गतिरोध वाली जगह पर से तेजी से जवानों को हटाने पर सहमति जता दी है. बाद में शाम को एक प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्रालय ने कहा कि जवानों को इलाके से हटाने की प्रक्रिया करीब करीब पूरी हो गयी है जो करीब ढाई महीने से चल रहे गतिरोध के समाप्त होने की बात झलकाती है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, यह प्रक्रिया सत्यापन के साथ करीब करीब पूरी हो गयी है. उधर बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस तरह की धारणा को खारिज करने का प्रयास किया कि उनके देश ने अपनी गलती को मान ली है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने अपने जवानों को वापस बुला लिया है. जवानों को हटाने की आपसी सहमति की भारत की घोषणा पर सवालों का जवाब नहीं देते हुए हुआ ने दावा किया कि उसके सैनिक इलाके में अब भी गश्त कर रहे हैं.

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भारतीय जवानों द्वारा विवादित क्षेत्र में एक सड़क के निर्माण से चीनी सेना को रोके जाने के बाद 16 जून को डोकलाम में दोनों देशों के जवानों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था. भारत ने इलाके में करीब 350 सैनिकों को तैनात किया था. सेना के सूत्रों ने कहा कि उसके जवानों को हटा लिया गया है.

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘पिछले कुछ सप्ताहों में भारत और चीन ने डोकलाम की घटना के संदर्भ में राजनयिक संवाद किया है. इनमें हम अपने विचार रखने और अपनी चिंताओं और हितों को व्यक्त करने में सफल रहे. इससे पहले मंत्रालय ने आज दिन में एक बयान में कहा था, इस आधार पर डोकलाम में गतिरोध स्थल पर से सीमा जवानों को तेजी से हटाने पर सहमति बनी और यह प्रक्रिया चल रही है.

बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, भारत ने 28 अगस्त की दोपहर बाद घुसपैठ करने वाले सभी सैनिकों, संसाधनों को सीमा पर भारत की तरफ वापस बुला लिया. चीन की सड़क निर्माण की योजना के सवालों पर वह चुप रहीं. इसी वजह से गतिरोध पैदा हुआ था. हुआ ने कहा कि वह जमीनी हालात से सामंजस्य स्थापित करेगा.

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अधिकारी ने कहा कि चीनी पक्ष अपनी संप्रभुता बनाये रखेगा और ऐतिहासिक समझौतों के अनुरुप क्षेत्रीय अखंडता बनाकर रखेगा. जब पूछा गया कि क्या चीन के बयान का मतलब है कि चीन रुख में कोई नरमी नहीं लाया है तो नयी दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि तेजी से जवानों को हटाने का मतलब है कि दोनों पक्षों की ओर से वापसी हुयी क्योंकि भारत को एकपक्षीय तरीके से जवानों को वापस बुलाने के लिए चीन के साथ सहमति करने की जरुरत नहीं पड़ती.

सहमति के एक सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत की सैद्धांतिक स्थिति यह है कि सीमा के मुद्दों पर बनी सहमतियों और समझ का ईमानदारी से सम्मान होना चाहिए. उन्होंने कहा, भारत की नीति इस विश्वास से निर्देशित है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति हमारे द्विपक्षीय संबंध के और अधिक विकास के लिए अनिवार्य पूर्व आवश्यकता है. कुमार ने कहा कि दोनों देशों ने जून में अस्ताना में इस बात पर सहमति जताई थी कि मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए और भारत चीन संबंध स्थिर रहने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत इस आधार पर चीनी पक्ष के साथ सतत साझेदारी के लिए आशान्वित है.

मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कजाकिस्तान के अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर-सम्मेलन से इतर वार्ता की थी. ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका :ब्रिक्स: देशों का सम्मेलन तीन से पांच सितंबर को चीन के शियानमेन शहर में आयोजित किया जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.

हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि किसी भी प्रकार की वार्ता के लिए दोनों पक्षों को पहले अपने सैनिकों को हटाना चाहिए. उन्होंने सीमा पर बने गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की थी.

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