नयी दिल्ली: राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा नीत राजग के कई मुख्यमंत्रियों और उनकी उम्मीदवारों को समर्थन देने वाले कुछ अन्य दलों के प्रमुखों की मौजूदगी में शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दायर करेंगे. राजग के घटक दलों के अलावा अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस और जदयू जैसे क्षेत्रीय […]
नयी दिल्ली: राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा नीत राजग के कई मुख्यमंत्रियों और उनकी उम्मीदवारों को समर्थन देने वाले कुछ अन्य दलों के प्रमुखों की मौजूदगी में शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दायर करेंगे. राजग के घटक दलों के अलावा अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस और जदयू जैसे क्षेत्रीय दलों ने दलित नेता को समर्थन देने की घोषणा की है, जिससे उनकी जीत लगभग तय प्रतीत हो रही है. अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचन मंडल में 48.6 प्रतिशत मत राजग के घटक दलों के हैं.
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सूत्रों ने बताया कि जब कोविंद अपने प्रपत्र दायर करेंगे, तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी उस समय मौजूद होंगे. उनके अलावा कोविंद को समर्थन दे रहे गैर-राजग दल के दो नेता तेलंगाना एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी इस दौरान उपस्थित होंगे. भाजपा सूत्रों ने कहा कि कोविंद को 61 प्रतिशत से अधिक मत मिलने की गारंटी है. कुछ क्षेत्रीय दलों ने अपने मत को लेकर अभी फैसला नहीं किया है. यदि उनके भी मत मिलते हैं तो यह आंकडा बढ भी सकता है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए कोविंद के खिलाफ विपक्षी दलों के एक समूह ने लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष एवं दलित नेता मीरा कुमार को गुरुवार को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया. चुनाव 17 जुलाई को होंगे और मतगणना 20 जुलाई को होगी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा. यदि कोविंद को राष्ट्रपति चुन लिया जाता है, तो वह सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय का पदभार संभालने वाले दूसरे दलित होंगे. पहले दलित राष्ट्रपति केआर नारायणन थे, जो 1997-2002 में राष्ट्रपति भवन में थे.
अधिक चर्चा में नहीं रहने वाले 72 वर्षीय कोविंद ने भाजपा में कई संगठनात्मक पद संभाले हैं. उन्हें मई, 2014 में राजग के सत्ता में आने के बाद 2015 में बिहार का राज्यपाल बनाया गया था. दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके कोविंद को संभावित उम्मीदवारों की सूची में नहीं माना जा रहा था, लेकिन भाजपा द्वारा उन्हें उम्मीदवार बनाये जाने को राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक समझा जा रहा है. कोविंद की छवि साफ है और 26 साल के उनके राजनीतिक करियर में वह कभी किसी विवाद में नहीं रहे. उनकी दलित छवि उन्हें ऐसे समय में अच्छा राजनीतिक चयन बनाती है, जब भगवा दल दलितों को लुभाने की कोशिशों में जुटा है.