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UP News: आपदा से बचाव के लिये गांवों तक पहुंचेगा मौसम का अलर्ट, बरेली-झांसी में बनेंगे एनडीआरएफ रिलीफ सेंटर

आपदा जीवन, संपत्ति और पर्यावरण को प्रभावित करती है. वज्रपात, भूकंप, बाढ़, भयानक तूफ़ान, भयानक आग, भूस्खलन, भारी वर्षा, सूखा, आंधी आदि आपदा के उदाहरण हैं. ऐसी कोई भी स्थिति होने पर यूपी में राहत आयुक्त के इमरजेंसी नंबर 1070 या 0522-2235083 पर कॉल करके मदद ले सकते हैं.

लखनऊ: आपदाओं से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए सीएम योगी ने बाढ़, भूकंप, आकाशीय बिजली समेत अन्य आपदाओं के प्रति पूरे प्रदेश को जागरूक करने के निर्देश दिये हैं. सीएम ने प्रत्येक जनपद में ‘मुख्यमंत्री आपदा सुरक्षा सम्मेलन’ आयोजित करने के लिये कहा है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा से संबंधित अलर्ट को और अधिक प्रभावी बनाने को लेकर भी महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं.

इंटीग्रेटेड अर्ली वार्निंग सेंटर प्रभावी

यूपी में प्रतिवर्ष लोगों को आपदाओं के प्रति आगाह और जागरूक किया जाता है. इंटीग्रेटेड अर्ली वार्निंग सेंटर के माध्यम से जनपदों, तहसील और ब्लॉक स्तर पर मौसम की जानकारी दी जाती है. सीएम ने पूरे प्रदेश में इस व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के आदेश दिए हैं. यूपी के आपदा आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने बताया कि सीएम ने पूरे प्रदेश को आपदा राहत जागरूकता कार्यक्रम से कवर किए जाने के लिये कहा है.

ICCC से इंटीग्रेटेड होंगे इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर

उन्होंने बताया की सीएम ने निर्देश दिया है कि सभी जनपदों में स्थापित इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर को सेफ सिटी के अंतर्गत स्थापित ICCC से इंटीग्रेटेड किया जाना चाहिए. सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं प्राइमरी स्कूल के प्रधानाचार्यों को राहत कार्यों के बारे जागरूक और प्रशिक्षित करने के लिए जनपद स्तरीय “मुख्यमंत्री आपदा सुरक्षा सम्मेलन” आयोजित किया जाए. इसमें सिर्फ सरकारी विद्यालय ही नहीं बल्कि निजी विद्यालय, एनसीसी, एनएसएस महिला मंडल, स्काउट गाइड एवं अन्य स्वयंसेवकों को भी शामिल किया जाएगा. ये सभी अपने विद्यालयों व संस्थानों में अन्य लोगों को प्रशिक्षित करेंगे.

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गांवों तक भी पहुंचेगा मौसम का अलर्ट

शहरों की तरह गांवों में भी मौसम का अलर्ट मिलेगा. इसके लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम (PDA) का उपयोग करना चाहिए. राहत आयुक्त ने बताया की शहरों में म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के माध्यम से इंटीग्रेटेड अर्ली वार्निंग सिस्टम दिए जाने की व्यवस्था है. राहत आयुक्त कार्यालय से एपीआई के माध्यम से जनपद स्तर पर अलर्ट भेजा जाता है.

जहां से तहसील और ब्लॉक स्तर पर कर्मचारियों को रियल टाइम वॉइस मैसेज व एसएमएस भेजने की सुविधा है. इससे इन क्षेत्रों को ऑरेंज, रेड, ग्रीन एलर्ट के माध्यम से बाढ़, भारी बारिश और मौसम की जानकारी दी जाती है. जिससे वो सावधान हो जाते हैं. इसी तरह की व्यवस्था अब गांवों में भी शुरू की जाएगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचक बल (SDRF) के बीच परस्पर समन्वय के साथ प्रदेश में आपदा प्रबंधन के कार्यों को और प्रभावी बनाने के लिए जारी प्रयासों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं.

मुख्यमंत्री ने ये दिये हैं निर्देश

मुख्यमंत्री ने कहा है कि आपदाकाल में राहत कार्यों के लिए योग्य एवं कुशल कार्मिकों की उपलब्धता प्राथमिक आवश्यकता है. जितने दक्ष कार्मिक होंगे, राहत कार्य उतना ही अधिक प्रभावी होगा. ऐसे में प्रदेश में आपदा प्रबंधन कार्य मे संलग्न कार्मिकों के बेहतर प्रशिक्षण के लिए एक सेंटर स्थापित किया जाना आवश्यक है. इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाए. इस कार्य मे एनडीआरएफ से भी सहयोग लिया जाना चाहिए.

  • बरसात के मौसम में आकाशीय बिजली/वज्रपात के कारण होने वाली ऐसी जनहानि को न्यूनतम करना एक बड़ी चुनौती है. 2022-23 में 52 जनपदों में 301 लोगों की असमय मृत्यु हुई. जबकि 2023-24 में अब तक 36 जिलों में 174 जनहानि की दुःखद सूचना मिली है. इसके हर हाल में रोकना होगा और तकनीक की मदद से ऐसा किया जा सकता है. इस दिशा में बिना विलंब प्रभावी प्रयास किया जाए.

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अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने के लिये कहा

  • आगामी तीन माह के भीतर सभी 75 जिलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाएं. आज तकनीक इतनी बेहतर हो चुकी है कि आकाशीय बिजली गिरने के तीन से चार घंटे पहले पता लगाया जा सकता है. जबकि एक घंटे पूर्व सटीक स्थान की जानकारी मिल सकती है. यदि समय से लोगों को जानकारी मिल जाएगी तो जन-धन की हानि नहीं होगी. भारत सरकार द्वारा विकसित कराए गए दामिनी एप, मेघदूत जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी अधिकाधिक प्रचार-प्रसार किया जाए.

  • सभी जनपदों में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं. इन्हें सेफ सिटी के अंतर्गत आईसीसीसी से इंटीग्रेट किया जाना चाहिए. सभी ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में क्रियाशील पब्लिक एड्रेस सिस्टम को स्थापित कराएं. इन्हें अर्ली वार्निंग सिस्टम से जोड़ा जाए.

  • आपदाकाल में एनडीआरएफ एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के कार्मिकों ने सेवा और दक्षता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है. लखनऊ में एनडीआरएफ मुख्यालय भवन क्रियाशील है. बरेली और झांसी में एनडीआरएफ के रीजनल रिस्पॉन्स सेंटर की स्थापना की जानी है. इसके लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराई जाए.

आपदा मित्रों की भूमिका महत्वपूर्ण

  • आपदाकाल में आपदा मित्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आपदा मित्रों वाला राज्य है. जिन जिलों में अभी तक इनकी तैनाती नहीं है, वहां तत्काल किया जाए. इनके प्रशिक्षण की कार्यवाही भी तेजी से पूरी की जाए.

  • उत्तर प्रदेश प्रथम राज्य है जहां आपदा राहत वितरण के लिये एंड-टू-एंड कंप्यूटराइज्ड रिलीफ मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया है. इसमें लाभार्थी के चयन से लेकर, डिजिटल अप्रूवल तथा खाते में धनराशि हस्तांतरित करने तक की पूरी प्रक्रिया पेपरलेस हो गई है. जिससे राहत वितरण में पारदर्शिता के साथ-साथ समयबद्धता भी सुनिश्चित हो गई है. इसे और उपयोगी बनाने का प्रयास हो.

  • बाढ़ आदि आपदा की स्थिति में बचाव कार्य में लगे कार्मिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए. बारिश/बाढ़ में छोटी नौकाओं का प्रयोग न हो. नौकाओं में लाइफ जैकेट जैसे सुरक्षा प्रबंध जरूर हों.

जागरूकता सबसे बड़ा हथियार

बाढ़, भूकम्प, आकाशीय बिजली आदि आपदाओं के समय ‘क्या करें -क्या न करें’ के संबंध में जनजागरूकता को और बढ़ाया जाना चाहिए. स्कूलों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड आदि स्वयंसेवकों को आपदा राहत कार्यों के बारे में जागरूक किया जाए. प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में नदी, पोखरों, तालाबों में बच्चों के डूब कर काल-कवलित होने की दुःखद घटानाएँ होती हैं. इस रोकने के लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है. इस दिशा में कार्य किया जाए.

आपदा, जिसे हम अक्सर “विपदा” भी कहते हैं, कोई भी प्राकृतिक या विकृत घटना हो सकती है. इससे जीवन, संपत्ति और पर्यावरण को प्रभावित करती है. वज्रपात, भूकंप, बाढ़, भयानक तूफ़ान, भयानक आग, भूस्खलन, भारी वर्षा, सूखा, भयानक आग, आंधी आदि आपदा के उदाहरण हैं. यूपी में राहत आयुक्त के इमरजेंसी नंबर पर कॉल करके मदद ले जा सकती है. राहत आयुक्त के इमरजेंसी नंबर 1070 या 0522-2235083 पर कॉल करके मदद ले सकते हैं.

समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण

आपदा से निपटने के लिए एक समुदाय की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. जब किसी क्षेत्र में आपदा का सामना करना पड़ता है, तो समुदाय के सदस्यों को मिलकर सामर्थ्य, संघर्ष और साहस के साथ इससे निपटने का प्रयास करना चाहिए. जीवन को बचाने और आपदा से सामना करने के लिए योजनाएं बनाना, तत्काल प्रतिक्रिया करना और आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना समुदाय के सदस्यों की जिम्मेदारी है.

आपदाओं का प्रबंधन एक संगठित तरीके से होना चाहिए, जिसमें स्थानीय प्रशासन, सरकारी निकाय, स्वयंसेवी संस्थाएं और जनता की सहभागिता जरूरी है. सही योजनाएं बनाने और इन्हें लागू करने के लिए जनता को जागरूक बनाना भी महत्वपूर्ण है. इसके लिये यूपी सरकार लगातार प्रयास कर रही है.

आपदा से बचाव: सुरक्षा के लिए उपाय

आपदा हमें किसी भी समय में घेर सकती है. इससे बचाव के लिये तैयार रहना भी बहुत जरूरी है. जिससे हम इसके प्रभाव को कम कर सकें और अपने आप और प्रियजनों को सुरक्षित रख सकें. चाहे यह प्राकृतिक आपदा हो जैसे भूकंप, बाढ़, तूफ़ान, जलवायुगत आपदा या मानवनिर्मित आपदा हो जैसे रासायनिक छिड़काव या औद्योगिक दुर्घटना. किसी भी तरह की आपदा से बचाव के लिये सक्रिय कदम उठाना हमारे लिए बेहद जरूरी है.

जागरूकता

जागरूकता सबसे पहले सुरक्षा की पहचान है. अपने क्षेत्र में संभावित जोखिमों और आपदा से संबंधित जानकारी प्राप्त करें. स्थानीय प्राकृतिक आपदा चेतावनियों और आपत्ति चेतावनियों का पालन करें. आपदा से सुरक्षित निकलने और शरण स्थलों के बारे में जानकारी रखना जरूरी है.

आपदा से बचाव की योजना बनाएं

परिवार या घरेलू आपदा योजना तैयार करें. आपदा के दौरान भागने के मार्ग, मिलने की जगहें और संचार तरीकों का चर्चा करें. प्रत्येक परिवार के सदस्य को जिम्मेदारियां असाइन करें और सुनिश्चित करें कि हर कोई आपदा के मामले में क्या करना है.

एक आपदा किट तैयार करें

एक अच्छी तरह से संयुक्त आपदा किट तैयार करें. जिसमें अनाज जैसे खाद्य, पानी, प्राथमिक चिकित्सा उपकरण, टॉर्च, बैटरी, एक मल्टी-टूल, व्यक्तिगत स्वच्छता वस्त्र और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ शामिल हों. इस किट को एक आसानी से पहुंचे जाने वाले स्थान पर रखें.

अपने घर को सुरक्षित बनाएं

अपने घर की सुरक्षा मूल्यांकन करें. भूकंप या तेज़ हवाओं के दौरान भारी सामान को सुरक्षित रखें ताकि वे उलझने से बच सकें. कठोर हवाएं और प्रहारों का सामना करने के लिए खिड़कियों और दरवाजों को सुरक्षित करें. भूकंपों के प्रति सजग रहें और यदि आप एक भूकंप-प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं, तो रिट्रोफिटिंग मापकर्मों को विचार करें.

अग्नि सुरक्षा का ध्यान रखें

अपने घर में स्मोक डिटेक्टर स्थापित करें और नियमित रूप से उन्हें जांचें. एक अग्निशमन प्रसाधन उपकरण अपने पास रखें और उसका उपयोग कैसे करें उसे जानें. एक अग्नि निकासी योजना बनाएं और परिवार के सदस्यों के साथ उसे अभ्यास करें.

फर्स्ट एड सीखें

प्राथमिक चिकित्सा के ज्ञान का होना आपदा के दौरान जीवन बचाने में मदद कर सकता है. प्राथमिक चिकित्सा के कोर्स में सीपीआर, घाव प्रबंधन, जले हुए घावों के उपचार और चोटों के इलाज की बुनियादी जानकारी शामिल होती है.

संचार को बनाएं रखें

आपदा के दौरान संचार के विभिन्न साधन स्थापित करें. मोबाइल फोन को चार्ज करें, बैटरी या हैंड-क्रैंक रेडियो रखें ताकि आप बिजली खो देने की स्थिति में अपडेट्स प्राप्त कर सकें.

आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में निःस्वार्थ सेवा को सम्मान

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में निःस्वार्थ सेवा के लिये एक सम्मान भी देता है. यह पुरस्तार सुभाष चंद्र बोस के नाम से है. सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के लिए नामांकन 31 अगस्त 2023 तक किया जा सकता है. इसके लिये http://awards.gov.in / http://ndma.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा.

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