दुसरों की बुराई करने से कोई भी व्यक्ति महान नहीं बनता, महान बनने के लिए सत्कर्म करना चाहिए
सासाराम ग्रामीण़ जीव में दूसरों का हित चाहने वाले का कभी अहित नहीं हो सकता है. सच्चे मन से ईश्वर को याद लोग करेंगे. वह मदद को अवश्य आयेंगे. उक्त बातें शहर के तकिया स्थित श्री शंकर ज्ञान महायज्ञ के सातवें दिन के प्रवचन में सोमवार को श्री दीनानाथ शास्त्री ने कहीं. उन्होंने कहा कि पाप से कमाया गया धन सदैव विनाश की ओर ले जाता है. उसका सूख क्षणिक समय के लिए होता है. पाप से कमाये धन से सुख का सामान, तो खरीद सकते हैं, पर सच्चा सुख नहीं प्रदान कर सकते है.आज के समय में हर व्यक्ति पैसे के पीछे भाग रहा है. जबकि, संसार का आखिरी वस्त्र कफन में कोई जेब नहीं होती. इसलिए जो कुछ है उसे प्रभु के हितार्थ लगाओ. सुख अपने आप चलकर आपके दरवाजे पर आयेगा. दुसरों की बुराई करने से कोई भी मनुष्य महान नहीं बनता, महान बनने के लिए सत्कर्म करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सत्कर्म करने से ही मनुष्य महान बनता है. छल व कपट से कमाया गया धन हमेशा परिवार को पतन की ओर ले जाता है. दूसरों की मदद करों, मन के भटकने से ही समस्याएं पैदा होती हैं. मन को ईश्वर की भक्ति में लगाओ, मन को शांति मिलेगी. दया से बड़ा कोई धर्म नहीं है और सेवा से बड़ा कोई दान नहीं. सत्संग करने से ही परलोक का रास्ता खुलता है. उन्होंने कहा कि अच्छे लोगों का साथ ही विकास की सीढ़ी है. बुरे लोग हमेशा पतन की ओर ले जाते हैं.
मानव को मानव समझे, अहं नाश का कारण है. विद्वान रावण का भी अहंकार के चलते विनाश हो गया था. सच्चाई का रास्ता कठिन है पर दुर्लभ नहीं, जो आया है सो जायेगा. इसलिए माया का मोह त्याग दो, सेवा को ही अपना धर्म समझो. नर सेवा ही नारायण सेवा है.मौके पर काशीनाथ पांडेय, शिवनारायण तिवारी, ई जगदीश प्रसाद, वंश नारायण सिंह, चंद्रशेखर सिंह, रामाशीष सिंह, मुरारी सिंह, राज बिहारी सिंह, सुनील बालाजी, अशोक कुमार, सुरेंद्र कुमार, जयप्रकाश गुप्ता, अजय कुमार, विवेक विक्रम, नवल किशोर राय सहित संत व श्रद्धालु मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

