रोहतास. वर्ष 1951 में लोकसभा और 1952 में बिहार विधानसभा का पहला चुनाव हुआ था. उस समय से लेकर 2020 बिहार विधानसभा व 2024 लोकसभा चुनाव तक रोहतास प्रखंड के चाकडीह व कछुअर गांव में मतदान केंद्र की स्थापना नहीं हो सकी है. इन दोनों गांवों को मिलाकर बूथ संख्या 230 निर्धारित है. आलम यह है कि 74 वर्ष के इतने बड़े अंतराल में पिछले 2024 के लोकसभा चुनाव तक इन दोनों गांवों के मतदाता अपने गांव से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी से नीचे तेलकप मध्य विद्यालय में मतदान करने आते हैं. गांव के मतदाता श्रीराम सिंह व भारत सिंह मानते हैं कि 1980 तक देश में संसाधनों की कमी थी, तो 1980-2010 के दशक तक पहाड़ी क्षेत्र में नक्सलियों का भय था, जिसके कारण हमारे गांव में मतदान केंद्र नहीं बन सका. लेकिन, 2010 में पहाड़ी क्षेत्र को पुलिस ने स्वयं हीं नक्सल मुक्त घोषित कर दिया था. इसके बावजूद 2010 के बाद के चुनावों में भी हमारे गांव में मतदान केंद्र नहीं बन सका. 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए हम लोगों को 15 किलोमीटर की दूरी तय कर तेलकप मध्य विद्यालय आना पड़ा था. दूरी के कारण वोट प्रतिशत में रहती है गिरावट चाकडीह व कछुअर गांव के लिए स्थापित बूथ संख्या 230 में पिछले लोकसभा चुनाव में पुरुष-219 व महिला-199 सहित कुल 418 मतदाता थे. इनमें से 218 मतदाताओं ने 15 किलोमीटर की दूरी तय कर लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी निभायी थी. उस समय तेलकप मध्य विद्यालय के बूथ संख्या 230 का कुल प्रतिशत करीब 52 रहा था. अगर यही बूथ गांव में बनता, तो इसका प्रतिशत निश्चित बढ़ता. चार चुनाव से नहीं किया है मतदान चाकडीह के 73 वर्षीय सिपाही सिंह, 72 वर्षीय रंजीत सिंह ने बताया कि नक्सलियों के समय उनके विरोध में हम 15 किलोमीटर दूर तक वोट करने चले आते थे. लेकिन, अब तो नक्सली नहीं हैं. फिर किस बात का डर. हमलोगों का शरीर थकने लगा है. पिछले चार चुनाव से हम अपना वोट नहीं कर सके हैं. हम उतनी दूरी पैदल तय नहीं कर सकते. इसलिए अब तो गांव में मतदान केंद्र होना ही चाहिए, ताकि हम मताधिकार का प्रयोग कर सकें.
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