महागामा प्रखंड क्षेत्र के बलिया गांव में भाई-बहन के प्रेम और प्रकृति से जुड़ा करमा पर्व पारंपरिक उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. इस अवसर पर गांव की युवतियों और महिलाओं द्वारा करमा गीतों और झूमर नृत्य की प्रस्तुति से पूरा गांव सांस्कृतिक रंग में रंग गया. करमा पर्व की शुरुआत में कुड़मी समाज की युवतियों ने गांव के गंगासागर पोखर में स्नान कर पवित्रता का पालन करते हुए जावा डलिया में बालू उठाव की परंपरा निभायी. इसके बाद पांच प्रकार का अन्न कुरथी, मूंग, घंघरा, चना और जौ को डलिया में बोया गया. इस दौरान युवतियों ने पारंपरिक करमा झूमर गीत गाये और युवाओं ने मांदर व नगाड़ा बजाकर करम देवता का स्वागत किया. मौके पर शिक्षक कार्तिक महतो ने बताया कि करमा पर्व झारखंड की संस्कृति और प्रकृति से गहरायी से जुड़ा हुआ पर्व है. उन्होंने कहा कि इस पर्व में बहनें पांच दिनों तक जावा डलिया के समक्ष सुबह-शाम करमा गीत गाकर अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं. उन्होंने इसे सरहुल के बाद झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा प्रकृति पर्व बताया. इस अवसर पर श्रुति, सोना, मोना, माही, महिमा, निशूराज, नीतू, संगीता, पायल, सरस्वती, दीपूराज, ब्यूटी, निशा, काजल, अन्नु, उषा, मानवी, बंदना, सुषमा, मीनूराज महतो सहित कई युवतियां उपस्थित रहीं और परंपरा को जीवंत बनाया.
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