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रवींद्रनाथ टैगोर ने मुजफ्फरपुर में की थी बेटी की शादी, बंग समाज ने किया नागरिक अभिनंदन

दो बार मुजफ्फरपुर आये थे कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर 1901 में शहर के शरतचद्र चक्रवर्ती से हुआ था माधुरी लता का विवाह बांग्ला तिथि के 22 बैसाख पर गुरुदेव की

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दो बार मुजफ्फरपुर आये थे कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर 1901 में शहर के शरतचद्र चक्रवर्ती से हुआ था माधुरी लता का विवाह बांग्ला तिथि के 22 बैसाख पर गुरुदेव की जयंची पर विशेष विनय, मुजफ्फरपुर कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर का मुजफ्फरपुर से गहरा संबंध रहा है. यही वह शहर है, जहां कवि गुरु का पहला सम्मान मिला. वर्ष 1901 के मार्च में कवि गुरु यहां अपनी बेटी माधुरीलता की शादी के लिए वर की तलाश में आये थे. जवाहर लाल रोड निवासी वकील बिहारी लाल चक्रवर्ती के बेटे शरतचंद्र चक्रवती के साथ माधुरीलता का विवाह तय हुआ. जवाहर लाल रोड के निवासी प्रिय नाथ सेन के माध्यम से ही विवाह की बातचीत हुई थी. हालांकि बिहारी लाल चक्रवर्ती दहेज में बीस हजार मांग रहे थे. कवि गुरु इतने रुपये देने में समर्थ नहीं थे. काफी लंबी बातचीत के बाद दस हजार दहेज पर बात बनी थी. इसका जिक्र प्रशांत कुमार पॉल ने अपनी पुस्तक ””रबीजीबानी”” में किया है. जब कवि गुरु बेटी की शादी की बातचीत करने आये थे, उसी दौरान प्रवासी बंग समाज के कमला चरण मुखोपाध्याय, रमेश चंद्र राय, केशवचंद्र बसु, प्यारी मोहन मुखोपाध्याय, प्रभाषचंद्र बंद्योपाध्याय, बेनीमाधव भट्टाचार्य और ज्ञानेंद्र नाथ देव ने संयुक्त रूप से कवि गुरु का मुखर्जी सेमिनरी स्कूल में नागरिक अभिनंदन किया था और उन्हें सम्मान पत्र सौंपा था. यह सम्मान पत्र बांग्ला में हाथ से लिखा हुआ था. इसके बाद रवींद्रनाथ टैगोर वापस चले गये. माधुरीलता की शादी 17 जून, 1901 को हुई थी़ रवींद्रनाथ ने मुजफ्फरपुर में लिखा नौका डूबि उपन्यास बेटी के बीमार होने पर उसे देखने रवींद्रनाथ टैगोार जुलाई, 1917 में मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. वह यहां एक महीने तक रुके थे. माधुरी लता तपेदिक से पीड़ित थी. रवींद्रनाथ बेटी के पास बैठे रहते और किताबें पढ़कर सुनाया करते. रवींद्रनाथ टैगोर ने ””नौका डूबि”” उपन्यास मुजफ्फरपुर में लिखा. जिस पर प्रदीप कुमार, वीणा राय, भारत भूषण और आशा पारिख अभिनीत ””घूंघट”” फिल्म बनी थी. ””पागल”” और ””सामयिक निबंध”” नामक दो गद्य रचनाएं भी यहीं लिखी गयी, जिसके एक गीत ””कि सुर बाजे आमार प्राणे””, ””तुमि जे आमार चाओ से आमि जानि”” आज भी मुजफ्फरपुर को गौरवान्वित कर रहा है. एक महीने रह कर वह वापस कोलकाता लौट गये थे. माधुरी लता की मृत्यु 16 मई, 1918 को हो गयी. इसका जिक्र 1918 में प्रकाशित फ्यूजिटिव पत्रिका में मिलता है. माधुरीलता ने की थी चैपमैन स्कूल की स्थापना शादी के बाद रवींद्रनाथ टैगोर की पुत्री माधुरी लता का यहां की बांग्ला लेखिका अनुरूपा देवी से गहरी मित्रता हो गयी. दोनों सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी लेने लगी थी. उस वक्त लड़कियों का कोई अलग स्कूल यहां नहीं था. लड़कों के स्कूल में ही वह पढ़ सकती थी, जिस कारण लोग अपने घरों की लड़कियों को स्कूल भेजने से डरते थे्. इस ओर माधुरीलता का ध्यान गया तो वह अपरूपा देवी से बात की. दोनों की सहमति बनी तब उन्होंने यहां के कलक्टर से बात की. कलक्टर इसके लिए न केवल राजी हुए, बल्कि इसकी स्थापना में महती भूमिका निभायी. कलक्टर की पत्नी के नाम पर इस स्कूल का नाम ””चैपमैन महिला विद्यालय”” रखा गया. इस तरह मुजफ्फरपुर मे लड़कियों की शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करने में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पुत्री माधुरी लता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

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