बक्सर. गंगा का जलस्तर घट रहा है. जिससे शहर के रामरेखाघाट समेत अन्य घाटों से पानी नीचे खिसककर नदी के गर्भ में चला गया है. लेकिन घाटों पर जमे सिल्ट हटाने को लेकर प्रशासन पूरी तरह बेफिक्र बना हुआ है. यही नहीं रामरेखाघाट पर बाढ़ में ध्वस्त हो गई बिजली व्यवस्था भी अभी दुरुस्त नहीं की गई है. जिससे शाम होते ही वहां अंधेरा पसर जा रहा है. जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. पौराणिक महत्व के कारण रामरेखाघाट पर बिहार के सुदूरवर्ती जिला के अलावा उतर प्रदेश के सीमाई इलाके से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. जिन्हें कीचड़ व मिट्टी के बीच स्नान करना पड़ रहा है. जिससे ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व वाले बक्सर शहर की शान में बट्टा तो लगता ही है, प्रशासनिक व्यवस्था की कलई भी खुल गई है. जाहिर है कि पर्व-त्योहारों के मौसम में स्नान एवं अन्य धार्मिक कृत्य के लिए रामरेखाघाट पर भीड़ लगी रहती है. अभी शारदीय नवरात्र चल रहा है, सो पूजा-पाठ व स्नान आदि के लिए दूर-दराज से पहुंच रहे हैं. इससे पहले पितृपक्ष में पितरों के पिंडदान एवं तर्पण आदि के लिए लोगों की भीड़ जुट रही थी. लेकिन उसी सिल्ट के बीच उन्हें रस्म पूरा करना पड़ा. अब नवरात्र में भी घाट की सफाई को लेकर कोई सुबगुहाट नहीं नहीं हैं. जानकारों की माने तो नगर परिषद बरसात खत्म होने का इंतजार कर रहा है, ताकि दोबारा गंगा का जलस्तर बढ़ने पर सिल्ट हटाने में उन्हें अतिरक्त खर्च नहीं करना पड़े. शाम होते ही पसर जा रहा है अंधेरा बाढ़ के कारण रामरेखाघाट पर लगे तार व पोल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. जिससे शाम ढलते ही वहां अंधेरा पसर जा रहा है. अंधेरा के चलते घाट पर असामाजिक तत्वों की गतिविधियां बढ़ गई हैं. एक तरफ अंधेरा के कारण आमलोग वहां जाने से डर जा रहे हैं तो शोहदों की आमद बढ़ जाती है. ऐसे में अनहोनी के भय से महिलाएं वहां जाने से कतरा जा रही है. घाट पर रहने वाले लोगों की माने तो अंधेरा के चलते शराब तस्करों की चांदी कट रही है. गंगा के रास्ते तस्कर उतर प्रदेश से शराब मंगाते हैं और आराम से अपने मंजिल पर पहुंचाने में कामयाब होते हैं.
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