संवाददाता, कोलकाता
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शनिवार को 1806 अयोग्य शिक्षकों की सूची जारी की. यह सूची सामने आते ही राज्य की राजनीति में भूचाल सा आ गया है. वजह यह कि इस सूची में कई ऐसे नाम हैं, जो सीधे-सीधे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. किसी का संबंध पूर्व मंत्री से है, तो कोई खुद जिला परिषद सदस्य या नगरपालिका का पार्षद है. सूची सामने आते ही विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला और इसे ‘भ्रष्टाचार की खुली किताब’ करार दिया. वहीं, जिन नेताओं या उनके परिजनों के नाम सूची में आये हैं, वे इसे अपनी प्रतिष्ठा पर हमला बताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं.गौरतलब है कि एसएससी ने इस सूची में सिर्फ नाम और रोल नंबर जारी किये हैं. यह जानकारी नहीं दी गयी कि ये शिक्षक किस स्कूल में कार्यरत थे या कहां से नियुक्ति पायी थी. ऐसे में कई जगह भ्रम की स्थिति बनी हुई है. यह पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई है. अदालत ने साफ कहा था कि अवैध और अनुचित तरीके से नौकरी पाने वालों की पहचान कर उन्हें बाहर करना होगा. आयोग ने कई बैठकों के बाद शनिवार को यह सूची सार्वजनिक की. इसके साथ ही जिन अयोग्य उम्मीदवारों ने नयी नियुक्ति प्रक्रिया में आवेदन किया था, उनके एडमिट कार्ड भी रद्द कर दिये गये.
इनके नाम भी सूची में हैं
नमिता आदक का नाम भी : खानाकुल के ही एक और तृणमूल नेता नईमुल हक की पत्नी नमिता आदक का नाम भी सूची में शामिल है. नईमुल हक पहले स्वास्थ्य कर्माध्यक्ष और बाद में पंचायत समिति के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. आरोप है कि उनकी पत्नी को राजनीतिक दबाव के चलते नौकरी मिली थी. साहिना सुल्ताना : नेता या शिक्षिका? हुगली जिला परिषद की सदस्य और पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी मानी जाने वाली साहिना सुल्ताना का नाम भी अयोग्य सूची में है. वे तीन बार जिला परिषद की सदस्य चुनी गयीं और तृणमूल में उनकी गहरी पैठ है. लोग कह रहे हैं कि वह जितनी शिक्षिका थीं, उससे कहीं ज्यादा प्रभावशाली नेता के रूप में जानी जाती हैं.पार्षद कुहेली घोष ने कानूनी रास्ता अपनाने का दिया संकेत : दक्षिण 24 परगना के राजपुर-सोनारपुर नगरपालिका की तृणमूल पार्षद कुहेली घोष का नाम भी अयोग्य शिक्षकों की सूची में सामने आने के बाद राजनीतिक विवाद और गहराया गया है. घोष ने साफ कहा कि उन्होंने नौकरी अपनी योग्यता के आधार पर हासिल की है. उनका कहना है कि वे पहले ही सीबीआइ और अदालत के सामने चुनौती दे चुकी हैं. अब जब उनका नाम सूची में आया है तो वे कानूनी रास्ता अपनाने को तैयार हैं.
अन्य नाम भी चर्चा में : इसके अलावा, इस्लामपुर में भाजपा नेता असीम कुमार मृद्धा के भाई अनूप कुमार का भी नाम अयोग्य शिक्षकों की सूची में शामिल हैं. पश्चिम मेदिनीपुर के तृणमूल नेता और पिंगला क्षेत्र के अध्यक्ष अजय माजी, बारासात-1 ब्लॉक तृणमूल अध्यक्ष इशा हक सरदार के बेटे मोहम्मद नाजिबुल्लाह, और अन्य कई प्रभावशाली नाम भी सूची में हैं. नाजिबुल्लाह ने सवाल उठाया कि जब एसएससी खुद अदालत में कह चुका था कि ओएमआर शीट नष्ट हो चुकी हैं, तो फिर यह सूची किस आधार पर तैयार की गयी?विपक्ष का हमला तृणमूल की सफाई: सूची जारी होते ही भाजपा और कांग्रेस ने तृणमूल सरकार को घेरा है. विपक्ष का कहना है कि यह सूची इस बात का सबूत है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह भ्रष्टाचार से भरी हुई थी. भाजपा नेताओं ने इसे ‘तृणमूल का असली चेहरा’ बताया. दूसरी ओर, तृणमूल नेता और प्रभावित उम्मीदवार सफाई देने में जुटे हैं. कोई अदालत जाने की तैयारी कर रहा है, तो कोई दावा कर रहा है कि उसने नौकरी अपनी मेहनत से पायी थी.
विधायक निर्मल घोष की पुत्रवधू भी सूची में
सूची में पानीहाटी के विधायक व तृणमूल नेता निर्मल घोष की पुत्रवधू शंपा घोष का नाम भी दर्ज है. उनका नाम 1269वें क्रम पर है. शंपा नैहाटी के एक स्कूल में कार्यरत थीं. इस खुलासे के बाद स्थानीय स्तर पर खासी चर्चा है कि आखिर विधायक परिवार तक पर नियुक्ति घोटाले की आंच कैसे पहुंच गयी.
अंकिता अधिकारी का नाम चर्चा में
अयोग्य शिक्षकों की इस सूची में सबसे अधिक चर्चा पूर्व मंत्री परेश अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी की हो रही है. अंकिता का नाम नियुक्ति घोटाले के दौरान पहले से ही विवादों में रहा है. उन पर आरोप था कि उन्होंने गलत तरीके से नौकरी हासिल की. शनिवार को प्रकाशित सूची में उनका नाम साफ तौर पर दर्ज है. यह नाम सामने आते ही लोगों के बीच यह संदेश गया कि एसएससी की जांच अब उन तक पहुंच गयी है, जिन पर पहले से ही सवाल उठ रहे थे.विभास मलिक और उनकी पत्नी भी अयोग्य
हुगली के खानाकुल क्षेत्र के दबंग तृणमूल नेता और जिला परिषद सदस्य विभास मलिक का नाम इस सूची में 316वें क्रम पर है. विभास तारकेश्वर के एक विद्यालय में कार्यरत थे. खास बात यह है कि उनकी पत्नी संतोषी मलिक का नाम भी इसी सूची में है. यानी पति-पत्नी दोनों को अयोग्य घोषित कर दिया गया. विभास मलिक का कहना है कि उन्होंने परीक्षा ईमानदारी से दी थी और किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं की. उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट जब मामले का समाधान नहीं कर सके, तो उन्हें ‘अयोग्य’ करार देना न्यायसंगत नहीं है.मां की राजनीतिक रसूख का असर!
अयोग्य शिक्षकों की सूची में प्रियंका मंडल का नाम भी है. प्रियंका हिंगलगंज की तृणमूल अध्यक्ष संध्या मंडल की बेटी हैं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मां के राजनीतिक प्रभाव के कारण ही प्रियंका को नौकरी मिली थी. अब अदालत के आदेश से उनकी नौकरी चली गयी है.
भाजपा की कविता बर्मन का भी नाम
उत्तर दिनाजपुर की पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष कविता बर्मन का नाम भी अयोग्य सूची में है. खास बात यह है कि कविता अब भाजपा से जुड़ चुकी हैं. लेकिन उनकी नौकरी का प्रावधान तृणमूल के कार्यकाल में हुआ था. इस वजह से विपक्ष भी इसे राजनीतिक रूप से देख रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

