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कटिहार सदर अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र खुद कुपोषण का शिकार

कटिहार सदर अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र खुद कुपोषण का शिकार

कटिहार सदर अस्पताल परिसर में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) जिसे कुपोषित बच्चों को पोषित करने व उन्हें स्वस्थ जीवन की ओर लौटाने के लिए बनाया गया है. आज खुद संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है. हालात इतने बदतर हैं कि यह केंद्र के अब अपने अस्तित्व और उद्देश्य दोनों पर इनके सवाल खड़े हो रहे है. सबसे बड़ी समस्या केंद्र की जर्जर बिल्डिंग है. दरारें और बदहाली साफ झलकती है. वास्तविकता को छुपाने के लिए उनके उपर रंग रोंगन कर दिया है. जिस भवन में बच्चों व उनके अभिभावकों को सुरक्षित और स्वच्छ माहौल मिलना चाहिए. खुद मरम्मत और देखभाल की गुहार लगा रहा है. केंद्र में स्वच्छता की भी भारी कमी है. बच्चों और परिजनों को संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. वर्तमान में 14 कुपोषित बच्चे भर्ती है. कुपोषित बच्चों और उनके परिजनों के लिए केंद्र में जगह बेहद सीमित है. 12 से 14 बेड एक छोटे से कमरे में ठूंस-ठूंसकर लगाय गये हैं. बच्चे और उनके अभिभावक भेड़-बकरियों की तरह एक-दूसरे से सटे रहने को मजबूर हैं, न तो कोई प्राइवेसी है और न ही डिस्टेंस मेंटेन करने की कोई सुविधा. ऐसे हालात में संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है. स्वास्थ्यकर्मी व डॉक्टरों की भारी कमी एनआरसी में स्वास्थ्यकर्मी व डॉक्टरों की कमी साफ नजर आती है. केंद्र में दो डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन इस समय केवल एक ही डॉक्टर सेवा दे रहे हैं. इसी तरह डाइटिशियन के दो पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक पद पर अब तक बहाली ही नहीं हुई है. नर्सिंग स्टाफ की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है. स्वीकृत आठ पदों के मुकाबले में मात्र चार नर्सों के भरोसे पूरा केंद्र चल रहा है. ऐसे में कुपोषित बच्चों को अपेक्षित देखभाल और निगरानी मिल पाना एक बड़ा सवाल है. फिजियोथैरेपी की सुविधा का अभाव कई कुपोषित बच्चों को शारीरिक विकास के लिए फिजियोथैरेपी की जरूरत होती है. लेकिन केंद्र में इस सुविधा का कोई प्रबंध नहीं है. मजबूर होकर डॉक्टर अभिभावकों को निजी क्लिनिक में फिजियोथैरेपी कराने की सलाह देते हैं. इससे गरीब परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है. ऐसे में जो बच्चे मुफ्त और बेहतर देखभाल के लिए इस केंद्र में भर्ती होते हैं. उन्हें बाहर निजी खर्च पर इलाज कराना पड़ता है. बच्चों के मनोरंजन की व्यवस्था नदारत पोषण पुनर्वास केंद्र में महीने भर तक रहने वाले बच्चों के लिए मनोरंजन व खेलने-कूदने की कोई व्यवस्था नहीं है, न तो यहां कोई खिलौने हैं और न ही खेलने का सुरक्षित स्थान. मानसिक विकास और तनाव से मुक्ति के लिए बच्चों को खेल-खिलौने जरूरी है. लेकिन उनकी यह बुनियादी जरूरत पूरी तरह अनदेखी कर दी गई है. कुछ साल पहले तक बच्चों के खेलने के लिए कुछ खिलौने उपलब्ध थे. उनके टूटने और क्षतिग्रस्त होने के बाद उन्हें दोबारा उपलब्ध नहीं कराया गया. पोषण पुनर्वास केंद्र का हाल यह बताता है कि कुपोषण से लड़ने की सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर किस कदर नाकाम हैं. केंद्र में न तो पर्याप्त स्वास्थ्यकर्मी हैं, न सुविधाएं और ना ही बच्चों के लिए स्वच्छ व सुरक्षित माहौल. कहते हैं डीपीएम जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ किसलय कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में जहां पिकू वार्ड है वहां पर एनआरसी को शिफ्ट किया जायेगा. एक सप्ताह 10 दिन के अंदर यह कार्य पूरे कर लिए जायेंगे. रही बात मूलभूत सुविधा की वहां शिफ्ट होने के बाद सभी मूलभूत सुविधा भी धीरे-धीरे पूरी कर ली जायेगी. डाइटिंग और नर्सिंग स्टाफ की कमी को लेकर स्टेट को इस बारे में अवगत कराया गया है.

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