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मानवाधिकार आयोग की त्वरित सुनवाई से पीड़ितों को मिल रहा न्याय

जागरूकता बढ़ने से लोग मानवाधिकार हनन की कर रहे शिकायतकई मामलों में पीड़ितों को मिला न्याय, सख्ती से कार्रवाई कर रहा विभाग विश्व मानवाधिकार दिवस पर विशेष उपमुख्य संवाददाता,

जागरूकता बढ़ने से लोग मानवाधिकार हनन की कर रहे शिकायतकई मामलों में पीड़ितों को मिला न्याय, सख्ती से कार्रवाई कर रहा विभाग विश्व मानवाधिकार दिवस पर विशेष उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वायत्त विधिक संस्था है. इसकी स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी. मानवाधिकार अधिनियम 1993 के अंतर्गत भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व राज्य मानवाधिकार आयोग काफी सक्रियता पूर्वक कार्य कर रही है. मानवाधिकार सार्वभौमिक व अविभाज्य हैं. इसका मतलब यह है कि हम सभी अपने मानवाधिकारों के समान रूप से हकदार हैं और विशिष्ट परिस्थितियों को छोड़कर और उचित प्रक्रिया के अनुसार, उन्हें छीना नहीं जाना चाहिए. मानवाधिकार की बात करें तो अब लोगों में जागरूकता आयी है और वह अपने अधिकारों को समझने लगे हैं. यही कारण है कि पुलिस उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, सरकारी कर्मियों द्वारा परेशान किये जाने, मूलभूत आवश्यकताओं जैसे पेयजल, भोजन व पोषण से संबंधित मामले के लिये लोग कोर्ट की शरण ले रहे हैं. मानवाधिकार आयोग सख़्ती से कार्रवाई भी कर रहा है. मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने पिछले दिनों अभियुक्तों को हथकड़ी लगा दिये जाने के मामले को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी, जिस पर बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने बिहार पुलिस को निर्देश दिया कि किसी भी अभियुक्त को न्यायालय से अनुमति के बाद ही हथकड़ी लगाना है. उन्होंने ट्रांसजेंडरों के मानवाधिकार के लिये लड़ाई लड़ी और जिला स्तर पर एक एडीएम रैंक के पदाधिकारी को नियुक्त किया गया. बेलारूस में भारत के राजदूत आलोक रंजन झा के अपने चचेरे भाई रवि कुमार झा की सुरक्षित व सकुशल बरामदगी के लिये अधिवक्ता एसके झा के द्वारा तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग, बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में तीन याचिका दाखिल की गयी थी, जिसके परिणामस्वरुप तमिलनाडु की सरकार काफी सजग हो गयी. इसके बाद रवि कुमार झा तमिलनाडु के रानीपेट जिले के अरक्कोनम नामक स्थान से सकुशल बरामद किये गये. वर्जन मानवाधिकार के मामलो में अब मानवाधिकार आयोग सख्ती से काम कर रहा है. आयोग किसी भी मामले में त्वरित सुनवाई कर रहा है. इससे लोगों को काफी राहत मिल रही है. हमारे अधिकार सुरक्षित रहें, इसके लिये लोगों में जागरूकता जरूरी है. हम सजग होंगे तभी हमें अपने अधिकार प्राप्त कर सकेंगे़ – एसके झा, मानवाधिकार अधिवक्ता मानवाधिकार के क्षेत्र में इन दिनों बहुत काम हो रहा है, पहले जागरूकता का अभाव और न्याय के दरवाजे तक पहुंच नहीं होने के कारण कई मामले दब जाया करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. महिलाएं भी मुखर हो गयी हैं और वह अपने हक के लिये मानवाधिकार आयोग तक पहुंच रही है. इससे सामाजिक बदलाव हो रहा है. – नसीमा खातून, सलाहकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

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Vinay Kumar
Vinay Kumar
I am working as a deputy chief reporter at Prabhat Khabar muzaffarpur. My writing focuses on political, social, and current topics.

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