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bhagalpur news. वाहन खींचना अवैध, किस्त पर मनमाना फाइन लगाना गलत

आदमपुर स्थित प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में भागलपुर व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता न्याय मित्र राजेश कुमार ने फाइनेंस कंपनियों के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये

आदमपुर स्थित प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में भागलपुर व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता न्याय मित्र राजेश कुमार ने फाइनेंस कंपनियों के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि आजकल कई फाइनेंस कंपनियां ऋण वसूली में कानून से इतर कदम उठा रही हैं. खासकर वाहनों को जबरन सड़क से खींच लेना पूरी तरह अवैध है. किस्त भुगतान में देरी होने पर मनमाना फाइन लगाया जाता है, साथ ही कई कंपनियों की योजनाओं में ऋण चुकाने की पूर्व अनुमति तक नहीं होती. कहा कि भारतीय कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति समय पर ऋण नहीं चुका पाता है, तो कंपनियों को अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए. कार्रवाई केवल न्यायालय के आदेश के तहत हो सकती है, लेकिन कंपनियां स्वयं निर्णय लेकर दबाव बनाती हैं, जो बिल्कुल अनुचित है. उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति को कानून की शरण लेनी चाहिए. साथ ही उन्होंने सरकारी बैंकों की ओर रुझान बढ़ाने की सलाह दी. उनके मुताबिक सरकारी बैंक आजकल आसानी से विभिन्न प्रकार के ऋण उपलब्ध करा रहे हैं. प्रक्रिया में थोड़ा विलंब जरूर होता है, लेकिन ऋण चुकाना सरल और लचीला रहता है. लोगों से अपील की कि वह सतर्क रहें और केवल कानूनी प्रक्रिया का पालन करने वाली संस्थाओं से ही ऋण लें. 1. प्रश्न – मेरी शादी को 15 वर्ष हो गए. मैं प्राइवेट और मेरे पति सरकारी नौकरी करते हैं. विगत दो वर्ष से हमलोग एक ही घर में रहते हुए भी मैं और मेरे पति अलग-अलग रह रहे हैं. बात भी नहीं होती है. मैंने पिछले दिनों परिवार के एक सदस्य को बीच में रख कर बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन पति ने कहा अब मैं जिंदगी इसी तरह काट लूंगा. मुझे क्या करना चाहिए जो मेरे घर में सबकुछ पहले जैसा हो जाय.

एक महिला पाठक, खरमनचक, भागलपुर.

उत्तर – घर में रहते हुए बात न करना प्रताड़ना की श्रेणी में आता है. आप मामले की शिकायत पुलिस से करें या न्यायालय की शरण में जायें. निश्चित रूप से आपको न्याय मिलेगा.

2.

प्रश्न – मैं तीन भाई था, एक की मौत हो गई, जो कुंवारा था और दिल्ली में रह कर मजदूरी करता था. मृत्यु के तीन साल बाद एक महिला सामने आई है और कह रही है कि मैं आपके भाई की पत्नी हूं और मुझे पैतृक संपत्ति में हिस्सा चाहिए. जीते जी मेरे भाई ने कभी नहीं बताया कि वह शादी कर चुका है. समाज भी यह बात नहीं जनता है.

दिनेश कुमार, बबरगंज, भागलपुर

उत्तर – अगर शादी का कोई वैधानिक प्रमाण नहीं है तो यह दावा गलत साबित होगा. आप एक सनहा दर्ज करवा लें और अगर वह कोर्ट के पास जाती है तो आप भी वहां पर अपना तथ्य रखें.

3. प्रश्न – बिना मेरी जानकारी के एक गंभीर मामले में गवाह में मेरा नाम दे दिया गया है. अब कोर्ट से वारंट आ गया है. जब में कांड के बारे में कुछ जनता नहीं हूं तो क्यों गवाही दूं, क्या जिन लोगों ने मेरा नाम दे दिया, उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती है.

सच्चिदानंद पाठक, बांका

उत्तर – एक नागरिक होने के नाते आपका दायित्व है कि आप कोर्ट में जा कर गवाही दें. अगर कांड के संदर्भ में आपको जानकारी है तो न्यायालय में बताएं, जानकारी नहीं है तो इस बात का जिक्र भी आप न्यायालय में करें. जिन लोगों ने आपका गवाही में नाम दिया, उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो सकती है.

4. प्रश्न – फोन पर एक लड़के के संपर्क में आयी. दोनों ने एक दूसरे को देखे बिना लगभग एक वर्ष तक बात किए. फिर एक माह पहले हमलोग मिले, लेकिन पहली मुलाकात के बाद से ही उस लड़के ने अपना मोबाइल बंद कर लिया. मैं उससे किसी तरह संपर्क नहीं कर पा रही हूं. लड़के ने फोन पर मुझसे जीवन साथ निभाने का वादा किया था. हालांकि, मेरा उसके साथ किसी प्रकार का शारीरिक संबंध नहीं बना.

एक छात्रा, खंजरपुर, भागलपुर

उत्तर – अगर लड़के ने आपका शोषण नहीं किया है तो आपको आगे बढ़ कर अपनी जिंदगी को नये सिरे से शुरू करना चाहिए. सिर्फ भावनात्मक आधार पर आप कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती हैं.

5. प्रश्न – मेरा पुत्र 19 वर्ष का है. पिछले दिनों उसने एक लड़की के साथ छेड़खानी की. मामला थाना चला गया. घटना के बाद मेरा पुत्र फरार है. मुझे भी नहीं पता कि वह कहां है. अब कहा जा रहा है कि पुलिस कुर्की करेगी. मैं चाह रहा हूं मेरी गाढ़ी कमाई के घर की कुर्की न हो. क्या करना चाहिए.

एक पाठक, नवगछिया

उत्तर – आप पुलिस का पूर्ण सहयोग करें. उम्मीद है कि पुलिस भी आपके प्रति सहानुभूति रखेगी. अच्छा है आप अपने पुत्र को किसी तरह गिरफ्तार करवा दें, क्योंकि उसने क्राइम किया है.

6. प्रश्न – मेरी शादी वर्ष 2010 में हुई थी, लेकिन कुछ दिनों तक साथ रहने के बाद पत्नी घर से कई सामान को लेकर चली गयी. वह इनदिनों पड़ोस के ही एक व्यक्ति के साथ रहती है और उसके साथ उसका अवैध संबंध है. मुझे क्या करना चाहिए.

एक पाठक

उत्तर – आपको तलाक लेने का पूर्ण अधिकार है. आप सक्षम न्यायालय में वाद दायर करें.

7. प्रश्न – मैंने जमीन खरीद कर कुछ साल पहले घर बनाना शुरू किया. ढलाई के समय विरोधियों ने टाइटल सूट कर दिया. क्या मैं अपना गृह निर्माण फिर से शुरू कर सकता हूं.

राजेंद्र प्रसाद साह, जमुनिया, नवगछिया

उत्तर – हां, अगर कोर्ट से निर्माण कार्य कर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया गया है तो आप पुलिस पदाधिकारियों और थाने को सूचना देकर निर्माण कार्य कर सकते हैं.

8. प्रश्न – मेरे विरोधियों ने जमीन हड़पने की नीयत से गलत वंशावली बना लिया है, वह इसका कहीं भी गलत उपयोग कर सकता है. मुझे क्या करना चाहिए.

एक पाठक

उत्तर – आप निश्चिंत रहें, अगर उसने गलत वंशावली का कहीं उपयोग किया तो आप भी वहां जाकर अपना पक्ष रखें और शपथ पत्र के साथ सही वंशावली दें. अभी आप इस संदर्भ में एक सनहा भी दर्ज करवा सकते हैं.

वैवाहिक विवादों में बढ़ी तादाद, काउंसलिंग से बच सकते हैं रिश्ते

अधिवक्ता राजेश कुमार ने बताया कि वैवाहिक संबंधी विवादों में इन दिनों तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. भागलपुर में आने वाले ऐसे लगभग 50 फीसदी मामलों में देखा गया है कि पति-पत्नी के रिश्ते में किसी तीसरे के दखल से विवाद उत्पन्न होता है. एक्स्ट्रा अफेयर के कारण बने प्रेम त्रिकोण जब थाने या कोर्ट तक पहुंचता है, तो अक्सर वैवाहिक संबंध टूटना तय हो जाता है. अधिवक्ता ने बताया कि करीब 50 फीसदी मामलों में लड़की के मायके वालों के हस्तक्षेप से भी तनाव गहराता है. हालांकि, ऐसे मामले उचित बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि वैवाहिक विवादों के समाधान के लिए थाने स्तर पर काउंसलिंग की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए. प्रत्येक मामले में एक प्रशिक्षित और अनुभवी काउंसलर की प्रतिनियुक्ति जरूरी है, ताकि वह रिश्तों को जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकें. उचित काउंसलिंग से कई परिवार टूटने से बच सकते हैं.

पिछला एक वर्ष रहा सकारात्मक बदलाव का

अधिवक्ता ने कहा कि विगत वर्ष भारतीय न्यायिक व्यवस्था के लिए बड़े बदलाव का रहा. भारतीय न्याय संहिता लागू होने के साथ ही न्याय से जुड़े सभी क्षेत्रों में परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पुलिस की कार्यशैली में भी बदलाव आया है. हालांकि, नए कानून के अनुरूप और सुधार की आवश्यकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अनुसंधान प्रणाली में बड़े सुधार जरूरी हैं. अब अनुसंधान में डिजिटल साक्ष्यों को विशेष महत्व दिया गया है. साथ ही स्वतंत्र साक्षियों की भूमिका को भी अनिवार्य माना गया है, जबकि पहले इन्हें अक्सर अनदेखा किया जाता था. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पुलिस व्यवस्था में अमूल-चूल बदलाव देखने को मिलेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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